कांग्रेस को नहीं मिलेगा नेता विपक्ष का दर्जा, अटार्नी जनरल ने भेजी राय
कांग्रेस को लोकसभा में नेता विपक्ष का दर्जा नहीं मिलेगा। अटार्नी जनरल ने लोकसभा अध्यक्ष को भेजी अपनी राय में केंद्र सरकार के नजरिये का समर्थन किया है। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपनी राय में कहा है कि पार्टी को नेता विपक्ष का दर्जा दिया जाता है, गठबंधन को नहीं। नियम राजनैतिक दल की बात करता है न कि गठबंधन की। अटार्नी जनरल की यह राय नेता विपक्ष के दर्जे की मांग कर रही कांग्रेस के लिए निराशा का सबब है।
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। कांग्रेस को लोकसभा में नेता विपक्ष का दर्जा नहीं मिलेगा। अटार्नी जनरल ने लोकसभा अध्यक्ष को भेजी अपनी राय में केंद्र सरकार के नजरिये का समर्थन किया है। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपनी राय में कहा है कि पार्टी को नेता विपक्ष का दर्जा दिया जाता है, गठबंधन को नहीं। नियम राजनैतिक दल की बात करता है न कि गठबंधन की। अटार्नी जनरल की यह राय नेता विपक्ष के दर्जे की मांग कर रही कांग्रेस के लिए निराशा का सबब है।
मालूम हो कि संसदीय चुनाव में मात्र 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस लोकसभा में नेता विपक्ष के दर्जे की मांग कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि उसने संप्रग गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ा है, इसलिए उसके गठबंधन को नेता विपक्ष का दर्जा मिलना चाहिए, जिसकी संख्या सदन की कुल संख्या की दस फीसद से ज्यादा है। लेकिन सरकार लगातार नियमों का हवाला देकर कांग्रेस की मांग ठुकराती रही है। विवाद ज्यादा बढ़ता देख लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से इस मुद्दे पर कानूनी राय मांगी थी। अटार्नी जनरल ने अपनी राय लोकसभा स्पीकर को भेज दी है।
सूत्र बताते हैं कि अटार्नी जनरल की राय से कांग्रेस के मंसूबो पर पानी फिरता है। रोहतगी ने अपनी राय में कहा है कि नेता विपक्ष का दर्जा पार्टी को दिया जाता है। गठबंधन को नेता विपक्ष का दर्जा नहीं दिया जा सकता। क्योंकि नियम पार्टी की बात कहता है, गठबंधन की नहीं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक रोहतगी ने लोकसभा अध्यक्ष को भेजी राय में कहा है कि नियम कहता है कि सदन का कोरम कुल संख्या का दस फीसद होना चाहिए और यही नियम नेता विपक्ष के लिए भी लागू होता है। इस हिसाब से नेता विपक्ष का दर्जा उसी राजनैतिक दल को दिया जा सकता है, जिसके सांसदों की संख्या सदन की कुल संख्या की दस फीसद होनी चाहिए। इस हिसाब से नेता विपक्ष का दर्जा उसी राजनैतिक दल को मिलना चाहिए, जिसके लोकसभा में कम से कम 55 सांसद हों।
मालूम हो कि कांग्रेस के सिर्फ 44 सांसद हैें और इस तरह कांग्रेस नेता विपक्ष के दर्जे की परिधि से बाहर हो जाती है। हालांकि उसके गठबंधन संप्रग के 62 सांसद हैं जो कि नियम को पूरा करते हैं।
अटार्नी ने अपनी राय में यह भी कहा है कि सदन की कुल संख्या का दस फीसद होने का नियम 1956 में लोकसभा अध्यक्ष जीवी मावलंकर ने बनाया था और तभी से यह नियम लागू है। तब से आज तक कभी इस नियम का उल्लंघन नहीं हुआ। इतना ही नहीं जवाहर लाल नेहरू 1947 से 1964 तक प्रधानमंत्री रहे और उस दौरान कोई नेता विपक्ष नहीं था। नेता विपक्ष का पद पहली बार 1969 में आया। इसके बाद राजीव गांधी की सरकार के कार्यकाल में भी नेता विपक्ष नहीं था।