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    स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद 'पहली महिला' को मिली एचआइवी से मुक्ति, पूर्व में दो पुरुष मरीजों का किया जा चुका है इस पद्धति से इलाज

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Wed, 16 Feb 2022 11:00 PM (IST)

    स्टेम सेल के प्रत्यारोपण के बाद ल्यूकेमिया पीड़ित एक अमेरिकी महिला को एचआइवी से मुक्ति मिल गई। उसमें एक ऐसे व्यक्ति के स्टेम सेल का प्रत्यारोपण किया गया जो इस वायरस का स्वाभाविक प्रतिरोधी था। एचआइवी वायरस के कारण ही एड्स नामक बीमारी होती है।

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    स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद महिला को मिली एचआइवी से मुक्ति (फाइल फोटो, रायटर)

    शिकागो, रायटर: शोधकर्ताओं ने मंगलवार को बताया कि स्टेम सेल के प्रत्यारोपण के बाद ल्यूकेमिया पीड़ित एक अमेरिकी महिला को एचआइवी से मुक्ति मिल गई। उसमें एक ऐसे व्यक्ति के स्टेम सेल का प्रत्यारोपण किया गया, जो इस वायरस का स्वाभाविक प्रतिरोधी था। एचआइवी वायरस के कारण ही एड्स नामक बीमारी होती है। इससे मुक्ति पाने वाली वह दुनिया की पहली महिला और कुल तीसरी मरीज है।

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    मिश्रित नस्ल की अधेड़ महिला के इस मामले को डेनवर में रेट्रोवायरस एंड अपोच्र्युनिस्टिक इंफेक्शन सम्मेलन में पेश किया गया। इसमें पहली बार गर्भनाल में मौजूद रक्त को शामिल किया गया। यह नया दृष्टिकोण और लोगों के लिए भी इलाज उपलब्ध करा सकता है। गंभीर माइलायड ल्यूकेमिया के इलाज दौरान जब महिला ने गर्भनाल का रक्त (कार्ड ब्लड) प्राप्त किया, तब वह 14 महीने के लिए वायरस से मुक्त हो गई। इस दौरान उसे एचआइवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की भी जरूरत नहीं पड़ी।

    ल्यूकेमिया एक प्रकार का कैंसर है, जो बोन मैरो में खून का निर्माण करने वाली कोशिकाओं में पैदा होता है। इससे पहले एक श्वेत व एक अश्वेत पुरुष में स्टेम सेल का प्रत्यारोपण हो चुका है, जिनका अक्सर बोन मैरो (अस्थि मज्जा) प्रत्यारोपण में इस्तेमाल किया जाता है। इंटरनेशनल एड्स सोसायटी के अध्यक्ष शेरोन लेविन ने एक बयान में कहा, 'यह इस पद्धति से इलाज की तीसरी रिपोर्ट है और पहली बार इसके जरिये एचआइवी पीडि़त महिला को ठीक किया गया है। हालांकि, यह व्यावहारिक विकल्प नहीं है, लेकिन इसकी रिपोर्ट यह साबित करती है कि एचआइवी का इलाज संभव है। इससे एचआइवी के व्यावहारिक इलाज के लिए जीन थेरेपी के इस्तेमाल को बल मिलता है।'

    यह मामला यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया लास एंजिलस (यूसीएलए) के डा. यवोन ब्रायसन व बाल्टीमोर स्थित जान हापकिंस यूनिवर्सिटी के डा. डेबोरा पर्साउड के नेतृत्व में अमेरिका समर्थित एक बड़े अध्ययन का हिस्सा है। इसका उद्देश्य एचआइवी पीड़ित वैसे 25 लोगों की सेहत पर नजर रखना है, जिनमें स्टेम सेल का प्रत्यारोपण किया गया है। स्टेम सेल का इस्तेमाल कैंसर व अन्य दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है।

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