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    रिटायर होने के बाद क्या है CEC राजीव कुमार का प्लान? बताया क्यों जाएंगे हिमालय

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 11:30 PM (IST)

    राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे है। वर्ष 2020 में चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति हुई और 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त का जिम्मा संभाला। सेवानिवृत्त के बाद की योजना को लेकर पूछे गए सवाल पर कुमार ने कहा कि वह लंबे समय से लगातार काम करते आ रहे है। ऐसे में कुछ समय वह आराम करेंगे।

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    मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सेवानिवृत्त के बाद का बताई योजना (फोटो- पीटीआई)

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति और लोकसभा से लेकर करीब 30 विधानसभा के चुनाव करा चुके देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को सेवानिवृत्त के बाद कुछ महीने हिमालय की वादियों में बिताएंगे। जहां ध्यान व प्रणायाम के जरिए अपने तनाव को भगाएंगे। इसके बाद वह सामाजिक सेवा से जुड़े क्षेत्र में कुछ योगदान देंगे।

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    2020 में चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति हुई

    राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे है। वर्ष 2020 में चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति हुई और 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त का जिम्मा संभाला। सेवानिवृत्त के बाद की योजना को लेकर पूछे गए सवाल पर कुमार ने कहा कि वह लंबे समय से लगातार काम करते आ रहे है। ऐसे में कुछ समय वह आराम करेंगे। इसके बाद वह सामाजिक सेवा के काम करेंगे।

    उन्होंने बताया कि बच्चों को बढ़ाने की उनकी इच्छा है। वैसे भी वह ऐसे दौर से निकलकर आए है, जहां उन्हें छठीं कक्षा में अंग्रेजी पढ़ाई गई थी। वह म्यूनिसिपल स्कूल में पेड के नीचे पढ़े है। ऐसे में वह बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ योगदान देना चाहते है।

    दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अपने चुनाव आयोग की ईमानदारी और दक्षता पर बहुत अधिक निर्भर करता है। इस महत्वपूर्ण संस्था के शीर्ष पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) होता है, जो बहुत बड़ी जिम्मेदारी और अधिकार का पद होता है। अभी भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं।

    प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

    राजीव कुमार का जन्म 19 फरवरी, 1960 को भारत में हुआ था। उन्होंने शिक्षाविदों के प्रति कम उम्र से ही झुकाव दिखाया, जिसके कारण उन्होंने अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। ​​उनके पास बीएससी, एलएलबी, पीजीडीएम और पब्लिक पॉलिसी और सस्टेनेबिलिटी में एमए की विभिन्न शैक्षणिक डिग्रियाँ हैं। उनकी मजबूत शैक्षिक पृष्ठभूमि ने सार्वजनिक सेवा में उनके शानदार करियर के लिए एक ठोस नींव रखी।

    पेशेवर करियर

    राजीव कुमार ने 1984 में बिहार कैडर में शामिल होकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपना करियर शुरू किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उल्लेखनीय रूप से, उन्होंने 2005 में अनुसूचित जनजाति (वन अधिकारों का पुनर्गठन) विधेयक का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, उनके नेतृत्व में, राज्यों को विशेष केंद्रीय सहायता और संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए अनुदान आवंटित किए गए।

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