प्रेसिडेंट ऑफ भारत के बाद अब प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत, BJP प्रवक्ता के पोस्ट पर सियासी घमासान तय
जी-20 शिखर सम्मेलन के अतिथियों को भेजे गए निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट आफ भारत लिखने से छिड़ी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा के दस्तावेज में प्राइम मिनिस्टर आफ भारत लिखा गया है।भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार शाम को इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर की हालांकि उनकी पोस्ट की जागरण आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं करता है।
नई दिल्ली, पीटीआई। जी-20 शिखर सम्मेलन के अतिथियों को भेजे गए निमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट आफ भारत' लिखने से छिड़ी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा के दस्तावेज में 'प्राइम मिनिस्टर आफ भारत' लिखा गया है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार शाम को इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर की, हालांकि उनकी पोस्ट की जागरण आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं करता है।
इस संबंध में कोई खबर नहीं आई है
सरकार की तमाम वेबसाइट, प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) पर इस संबंध में कोई खबर नहीं आई है और न ही सरकारी सोशल हैंडल पर ऐसा कोई भी पोस्ट नजर आया। समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार शाम को इस संबंध में जानकारी साझा की।
20वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री मोदी 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार रात इंडोनेशिया के लिए रवाना होंगे। उधर, जी-20 सम्मेलन के अतिथियों को राष्ट्रपति की ओर से निमंत्रण में 'प्रेसिडेंट आफ भारत' लिखे जाने पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, 'इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। इससे पहले भी आपने भारत सरकार के नाम से कई आमंत्रण देखे होंगे। समस्या कहां है। मैं भारत सरकार का मंत्री हूं, कई समाचार चैनलों के नाम में भी भारत है। भारत पर किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए, ये कौन लोग हैं जिन्हें भारत नाम से एलर्जी है।'
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भारत नाम का विरोध कौन कर रहा है: अनुराग ठाकुर
ठाकुर ने कहा, ''भारत नाम का विरोध कौन कर रहा है? अब क्या आपको भारत का नाम लेते ही दर्द महसूस होने लगा है? ये वही लोग हैं जो पार्टी को देश से पहले रखते हैं और राजनीति के दलदल में फंसे हुए हैं। उन्होंने विदेशी धरती से देश को बदनाम करने की भी कोशिश की है।''
उन्होंने कहा कि इन दलों ने अपने 10 वर्षों के शासनकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण अपने गठबंधन को संप्रग कहना बंद कर दिया था। लेकिन वे भूल जाते हैं कि उन्होंने भले ही अपना संप्रग नाम छोड़ दिया हो, लेकिन उनका चेहरा, चरित्र और आचरण वही है। सिर्फ संप्रग नाम बदलने से आपके कर्म नहीं बदल जाते। पूरा देश इस भ्रष्ट 'घमंडिया' गठबंधन को देख रहा है। जो अहंकार से भरा है।
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