मराठों के बाद अब ओबीसी को समझाने में जुटे सीएम फडणवीस, बोले- जो हकदार उसे मिलेगा आरक्षण
मराठा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बीच आरक्षण की खींचतान में उलझी फडणवीस सरकार ने मराठों को कुनबी का दर्जा देने के लिए हैदराबाद एवं सातारा गजेटियर को प्रमाण मानने की मांग स्वीकार कर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने आज छगन भुजबल से बात की तो उनके एक मंत्री अतुल सावे नागपुर में ओबीसी महासंघ की ओर से चल रहा अनशन तुड़वाने में सफल रहे।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मराठा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बीच आरक्षण की खींचतान में उलझी फडणवीस सरकार ने मराठों को कुनबी का दर्जा देने के लिए हैदराबाद एवं सातारा गजेटियर को प्रमाण मानने की मांग स्वीकार कर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया।
ओबीसी वर्ग को भी संतुष्ट करने में जुटी सरकार
अब वह इसी शासनादेश से नाराज ओबीसी वर्ग को भी संतुष्ट करने की कोशिश कर रही है। इसी कोशिश के तहत मुख्यमंत्री फडणवीस ने आज छगन भुजबल से बात की, तो उनके एक मंत्री अतुल सावे नागपुर में ओबीसी महासंघ की ओर से चल रहा अनशन तुड़वाने में सफल रहे।
मराठा समुदाय को कुनबी (खेतिहर मराठा) का दर्जा देकर उन्हें ओबीसी समाज के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण के तहत ही आरक्षण देने की मांग को लेकर मराठा आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल मुंबई में अनशन पर बैठे थे। दो सितंबर को सरकार ने उनकी आठ में से छह मांगें मान लीं।
मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को कुनबी का दर्जा
सरकार ने एक शासनादेश भी जारी कर दिया, जिसमें कहा गया है कि मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को कुनबी का दर्जा देने के लिए आजादी से पहले के हैदराबाद एवं सातारा गजेटियर को प्रमाण स्वरूप माना जाएगा।
लेकिन यह लाभ सामूहिक रूप से नहीं मिलेगा। बल्कि इसका लाभ चाहनेवालों को व्यक्तिगत रूप से आवेदन करना होगा। उनके आवेदन की पड़ताल की जाएगी। सही पाए जाने पर ही उन्हें कुनबी का दर्जा दिया जाएगा। इस शासनादेश के बाद से ओबीसी समुदाय में विरोध के स्वर देखे जा रहे हैं।
ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष अनशन पर बैठे
ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े नागपुर में पहले से ही अनशन पर बैठे थे। राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता एवं राज्य सरकार में वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार किया। कुछ ओबीसी नेताओं ने मराठों के समर्थन में जारी शासनादेश की प्रतियां फाड़कर विरोध जताया।
लेकिन आज पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि छगन भुजबल कैबिनेट का बहिष्कार नहीं किया है। मैंने स्वयं उनसे बात करके उन्हें समझाया है कि मराठों के संबंध में जारी शासनादेश का कोई नुकसान ओबीसी समाज को नहीं होने दिया जाएगा। ये पूर्ण आरक्षण का जीआर नहीं है, बल्कि एक दस्तावेज को प्रमाण मानने का जीआर है। मराठवाड़ा के सबूत हैदराबाद गजट में हैं, इसलिए उसे इसमें शामिल किया गया है।
जो लोग वास्तव में आरक्षण के हकदार हैं, उन्हें आरक्षण मिलेगा
इसके अनुसार जो लोग वास्तव में आरक्षण के हकदार हैं, उन्हें आरक्षण मिलेगा। ओबीसी संगठनों ने भी इसका स्वागत किया है। छगन भुजबल एवं अन्य ओबीसी नेताओं के मन में जो शंकाएं हैं, उन्हें हम दूर करेंगे। हम मराठों का आरक्षण मराठों को देंगे। ओबीसी का आरक्षण ओबीसी को देंगे। हम किसी एक का अधिकार किसी दूसरे को नहीं देंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।