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    महाराष्ट्र में भूपति का समर्पण, ढही माओवाद की वैचारिक दीवार; छत्तीसगढ़ में 78 नक्सलियों ने भी डाले हथियार

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 05:55 AM (IST)

    महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष बुधवार को छह करोड़ रुपये के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू उर्फ अभय ने 60 साथियों सहित बंदूक छोड़ भारतीय संविधान की किताब थाम ली। माओवादियों ने 54 हथियारों के साथ समर्पण किया है, जिनमें सात एके-47 और नौ इंसास राइफलें हैं। 

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    महाराष्ट्र में भूपति का समर्पण, छत्तीसगढ़ में 78 नक्सलियों ने भी डाले हथियार (फोटो- एक्स)

    जागरण टीम, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष बुधवार को छह करोड़ रुपये के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू उर्फ अभय ने 60 साथियों सहित बंदूक छोड़ भारतीय संविधान की किताब थाम ली। माओवादियों ने 54 हथियारों के साथ समर्पण किया है, जिनमें सात एके-47 और नौ इंसास राइफलें हैं।

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    माओवादी संगठन में प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था भूपति

    भूपति को माओवादी संगठन में सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था और उसने लंबे समय तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों का नेतृत्व किया है। इसके कुछ ही घंटों बाद छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में भी माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा।

    78 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया

    सुकमा, कांकेर और कोंडागांव जिलों में कुल 78 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया। कांकेर में समर्पण करने वालों में 25-25 लाख के इनामी दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) सदस्य राजमन मंडावी और राजू सलाम शामिल हैं।

    इनके नेतृत्व में 32 महिला माओवादियों सहित 50 कार्यकर्ताओं ने कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र स्थित बीएसएफ की 40वीं बटालियन के कामतेड़ा कैंप में समर्पण किया।

    माओवादियों ने कुल 39 हथियार पुलिस को सौंपे

    माओवादियों ने कुल 39 हथियार पुलिस को सौंपे, जिनमें सात एके-47, दो एसएलआर, चार इंसास राइफल, एक इंसास एलएमजी और एक स्टेन गन शामिल हैं। कांकेर में समर्पण की आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है, जबकि सुकमा में 10 महिला सहित 27 माओवादियों ने पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के समक्ष समर्पण किया। इनमें से 16 माओवादियों पर कुल 50 लाख का इनाम था।

    मुख्य आत्मसमर्पितों में पीएलजीए बटालियन-01 का सदस्य ओयाम लखमू (इनाम 10 लाख), आठ-आठ लाख के इनामी माड़वी भीमा, सुनीता उर्फ कवासी सोमड़ी और सोड़ी मासे शामिल हैं। कोंडागांव जिले में पूर्वी बस्तर डिवीजन की टीम कमांडर पांच लाख की इनामी गीता उर्फ कमली सलाम ने भी पुलिस अधीक्षक वाय अक्षय कुमार के समक्ष समर्पण किया।

    माओवादियों के अंत की शुरुआत : फडणवीस

    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि भूपति और उसके 60 साथियों का समर्पण महाराष्ट्र में माओवादियों के अंत की शुरुआत है। आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में पूरा लाल गलियारा माओवाद से मुक्त हो जाएगा।

    अगले पांच से सात वर्षों में इस्पात केंद्र बनने जा रहे गढ़चिरौली में ही एक लाख भूमि पुत्रों को रोजगार मिलेगा। पिछले 10 वर्षों में नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रशासन और विकास समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

    भूपति के समर्पण से ढही माओवाद की वैचारिक दीवार

    गढ़चिरौली में भूपति के समर्पण के साथ माओवादियों की सबसे मजबूत वैचारिक दीवार ढह गई। उसके समर्पण को सुरक्षा विशेषज्ञ माओवादी इतिहास का सबसे बड़ा और निर्णायक मोड़ बता रहे हैं। भूपति संगठन के वैचारिक किले की दीवारों को थामे था। वह माओवादी नीति, संगठनात्मक ढांचे और वैचारिक दिशा का मुख्य सूत्रधार था। केंद्रीय समिति अब 'मार्गदर्शन शून्यता' की स्थिति में पहुंच चुकी है।

    छत्तीसगढ़ से झारखंड तक समर्पण की लहर उठेगी

    सूत्र बताते हैं कि समर्पण की खबर फैलते ही संगठन के भीतर नेतृत्व संघर्ष, मतभेद और अविश्वास तेजी से उभरने लगे हैं। इस घटनाक्रम के कुछ ही घंटों में छत्तीसगढ़ में 78 माओवादी समर्पण के लिए सामने आए। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ से झारखंड तक समर्पण की लहर उठेगी।

    उधर, भूपति के समर्पण के बाद संगठन की कमान सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख देवजी के हाथों में आ गई है। देवजी में भूपति जैसी वैचारिक गहराई नहीं है। अब माओवादी संगठन में केवल गणपति जैसे बीमार और निष्क्रिय लोग बचे हैं, जो सलाहकार की भूमिका में हैं।

    भूपति का बड़ा भाई किशनजी मारा गया

    बता दें कि तेलंगाना के करीमनगर जिले के पेद्दापल्ली निवासी 69 वर्षीय भूपति का बड़ा भाई किशनजी भी शीर्ष माओवादी हिंसक था। 2011 में वह बंगाल में मुठभेड़ में मारा गया, पर भूपति लगातार संगठन की रीढ़ बना रहा। उसका पारिवारिक दायरा पहले ही मुख्यधारा में लौट चुका है। पत्नी तारक्का ने पिछले वर्ष समर्पण किया और भाभी सुजाता ने भी हाल ही में हथियार डाल दिए थे।