जीएसटी लागू हुए एक वर्ष बीतने के बाद भी टेक्नोलॉजी के स्तर पर चुनौतियां बरकरार
चुनौतियां केवल जीएसटी नेटवर्क के मौजूदा सिस्टम की ही नहीं, बल्कि भविष्य में इसके अमल को सुचारू बनाने के स्तर पर भी दिख रही हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अप्रत्यक्ष कर सुधारों की दिशा में देश में जीएसटी लागू हुए एक वर्ष बीतने के बाद भी टेक्नोलॉजी के स्तर पर चुनौतियां बरकरार है। चुनौतियां केवल जीएसटी नेटवर्क के मौजूदा सिस्टम की ही नहीं, बल्कि भविष्य में इसके अमल को सुचारू बनाने के स्तर पर भी दिख रही हैं। छोटे और मझौले कारोबारियों के लिए जीएसटी सॉफ्टवेयर उपलब्ध करा रही कंपनियों का मानना है कि अब न केवल ऐसे उद्यमियों और उद्योगों के डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है बल्कि रिटर्न के मौजूदा तंत्र की प्रक्रिया को तकनीकी तौर पर पूर्णता की तरफ ले जाने की भी आवश्यकता है।
इस क्षेत्र की कंपनियों का मानना है कि शुरुआती अड़चनों को पार करते हुए जीएसटी का मौजूदा स्वरूप अपनी लय में आ गया है। मार्ग ईआरपी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक ठाकुर अनूप सिंह का मानना है कि अब सरकार को छोटे उद्यमियों और उनके कारोबार को डिजिटाइजेशन की तरफ ले जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। जीएसटी रिटर्न फाइल करने की दिशा में यह कदम कारोबारियों का उत्साहवर्धन करेगा। सिंह कहते हैं कि छोटे कारोबारी अपने व्यवसाय को कंप्यूटरीकृत कर लेंगे तो उन्हें जीएसटी के दायरे में लाना ज्यादा सरल होगा।
उद्योग की राय
-जल्द से जल्द जीएसटीआर 2 लाना आवश्यक
-प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाना होगा
इसी क्षेत्र की अन्य कंपनी टैली सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक भरत गोयनका का मानना है कि अब वक्त है जीएसटी की प्रक्रिया के अधूरे टेक्नीकल प्रोसेस को पूर्ण करने की। गोयनका का कहना है कि जीएसटीआर 1 की उपलब्धता और जीएसटीआर 2 की सिस्टम में अनुपस्थिति न केवल करदाता के लिए समस्या बनी हुई है बल्कि सरकार को भी दिक्कत दे रही है। इसलिए कारोबारियों के लिए अब सिस्टम में इस फार्म को ले आना चाहिए। जीएसटी का बीते एक साल का अनुभव यही बताता है कि इसे और अधिक सरल बनाने की आवश्यकता है।