असम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू का कहर, नौ जिलों में फैली बीमारी, 13 हजार से ज्यादा सूअरों की मौत
कोरोना महामारी के बीच असम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू से 13 हजार से ज्यादा सूअरों की मौत हो गई है। यह बीमारी असम में नौ जिलों में फैल चुकी है...
गुवाहाटी, पीटीआइ। कोरोना महामारी के बीच असम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू का कहर भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। असम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बीते कुछ ही दिनों में 13 हजार से ज्यादा सूअरों की मौत हो गई है। पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि यह संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है। यह बीमारी असम में नौ जिलों में फैल चुकी है जिससे इन इलाकों में सूअरों की मौत हो रही है। इस बीमारी ने पशुपालक किसानों की आजीविका को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है।
अधिकारियों की मानें तो संक्रमण असम के छह जिलों से तीन और जिलों माजुली, गोलाघाट और कामरूप मेट्रोपॉलिटन में फैल गया है। असम में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू (African swine fever यानी AFS) की वजह से पिछले कुछ दिनों में कुल 13,013 सूअरों की मौत हुई है। असम में पहली बार इस साल वर्ष फरवरी में यह बीमारी सामने आई थी। शुरुआत में तो राज्य के छह जिलों डिब्रूगढ़, शिवसागर, जोरहाट, धेमाजी, लखीमपुर और बिश्वनाथ में बीमारी फैलने की बात सामने आई थी लेकिन अब यह तीन और जिलों में फैल गई है।
असम में इस नई बीमारी के फैलने के बीच पशुपालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने शनिवार को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जंगली सूअरों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी ली। जंगली सूअरों को बचाने के लिए अगोराटोली रेंज में छह फुट गहरी और दो किलोमीटर लंबी नहर खोदी गई है ताकि आसपास के गांवों में जंगली सूअर वापस आ सके जिससे उनका घरेलू सूअरों से संपर्क नहीं हो सके। अतुल बोरा ने बताया कि मौजूदा हालात के बारे में केंद्र सरकार को भी जानकारी दे दी गई है।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पशु चिकित्सा एवं वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सूअरो को इन जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research, ICAR) के राष्ट्रीय सूअर अनुसंधान केंद्र (National Pig Research Centre, NPRC) के साथ मिलकर काम करें। फिलहाल असम सरकार ने सूअरों को तुरंत नहीं मारने का फैसला किया है। यही नहीं इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए वैकल्पिक उपायों को आजमाने पर जोर दिया जा रहा है।