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    कैंसर रोगियों के लिए अच्छी खबर, सरकार लाएगी किफायती बीमा योजना; कम खर्च में होगा इलाज

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    संसदीय समिति ने किफायती कैंसर बीमा की वकालत करते हुए स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत मानकीकृत कैंसर निदान पैकेज विकसित करने का सुझाव दिया है। समिति ने सभी राज्यों में कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में आयुष-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और कैंसर के टीकों इम्यूनोथेरेपी और ओरल कीमोथेरेपी को मूल्य सीमा में शामिल करने की बात कही गई है।

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    कैंसर मरीजों के लिए सरकार लगाएगी किफायती बीमा योजना।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किफायती कैंसर बीमा की वकालत करते हुए एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि सरकार द्वारा विनियमित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत मानकीकृत मूल्य निर्धारण वाले कैंसर निदान पैकेज विकसित किए जाने चाहिए ताकि इसमें अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जा सके।

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    समिति ने कहा है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित किया जाना चाहिए। इसने देश भर में आयुष-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थागत विस्तार के लिए सक्रिय कदम उठाने की भी सिफारिश की है ताकि एकीकृत आन्कोलाजी ²ष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके और रोगियों को कैंसर से निपटने के लिए भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों में निहित विविध चिकित्सीय विकल्पों का लाभ मिल सके।

    रिपोर्ट में क्या की गई सिफारिश?

    नारायण दास गुप्ता की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की याचिका समिति ने अपनी 163वीं रिपोर्ट में सिफारिश की है कि 42 आवश्यक कैंसर रोधी दवाओं पर मौजूदा 30 प्रतिशत व्यापार मार्जिन सीमा की ही तरह राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा लागू मूल्य सीमा में कैंसर के टीके, इम्यूनोथेरेपी और ओरल कीमोथेरेपी को भी शामिल किया जाना चाहिए।

    'विश्वसनीय आंकड़े जरूरी'

    रिपोर्ट में कहा गया है कि जन स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों विशेष रूप से कैंसर के आकलन के लिए विश्वसनीय आंकड़े महत्वपूर्ण हैं, जहां रुझानों पर नजर रखने, नीतियां बनाने और बुनियादी ढांचे की योजना बनाने के लिए व्यापक जानकारी आवश्यक है। वर्तमान में, कैंसर के आंकड़े मुख्य रूप से राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) से लिए जाते हैं, जो केवल लगभग 18 प्रतिशत आबादी को ही कवर करता है और जिसे राष्ट्रीय परि²श्य के लिए अपर्याप्त माना जाता है। स्वास्थ्य सेवा पेशेवर लंबे समय से कैंसर को एक अधिसूचित रोग घोषित करने की वकालत करते रहे हैं।

    वर्तमान में, सरकार का रुख विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों द्वारा निर्देशित है जो इस अधिसूचना को केवल संक्रामक रोगों तक सीमित रखते हैं।

    आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी मेडिकल ट्रीटमेंट का भी जिक्र

    रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि कैंसर देखभाल के क्षेत्र में वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों - आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी - की पहुंच एलोपैथिक उपचार पद्धतियों की तुलना में काफी सीमित है। आयुष मंत्रालय ने इन पारंपरिक प्रणालियों में कैंसर संबंधी अनुसंधान में निरंतर प्रगति की सूचना दी है। इसने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली की तर्ज पर प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आयुष-आधारित कैंसर देखभाल के लिए समर्पित संस्थानों की स्थापना की भी सिफारिश की।

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