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    ISRO को मिली एक और बड़ी कामयाबी, Aditya L1 ने पूरा किया हेलो ऑर्बिट का पहला चक्कर

    Updated: Tue, 02 Jul 2024 08:38 PM (IST)

    आदित्य एल1 यान ने सूर्य और पृथ्वी के बीच एल1 लैग्रेंजियन बिंदु के चारों ओर यानी हेलो ऑर्बिट का एक चक्कर लगा लिया है। यान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर पृथ्वी और सूर्य के बीच लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। इस मिशन के जरिए पृथ्वी के आसपास के पर्यावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है।

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    आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान ने हेलो कक्षा का एक चक्कर लगा लिया है।(फोटो सोर्स: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आदित्य-एल1 (Aditya L1 Mission) मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को एक खुशखबरी दी है।  आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान ने सूर्य और पृथ्वी के बीच एल 1 लैग्रेंजियन बिंदु   यानी हेलो ऑर्बिट का एक चक्कर पूरा कर लिया है।

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    इसरो ने इस मिशन की उपलब्धि पर जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा,"आज, आदित्य-एल1 ने एल1 बिंदु के चारों ओर अपनी पहली हेलो कक्षा पूरी की। इस साल छह जनवरी को यान  लैग्रेंजियन बिंदु   (एल1) पर पहुंचा था।इसके बाद हेलो कक्षा का एक चक्कर पूरा करने में यान को 178 दिन लगे।"

    सौर चुंबकीय तूफानों का किया जा रहा अध्ययन

    बता दें कि यान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर पृथ्वी और सूर्य के बीच लैग्रेंजियन बिंदु  1 (एल1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। इस मिशन के जरिए वायुमंडल, सौर चुंबकीय तूफानों और पृथ्वी के आसपास के पर्यावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है।

    यान में लगे हैं सात पेलोड

    इस मिशन के पीछे इसरो के कई उद्देश्य हैं। जिस तरह पृथ्वी पर भूकंप आते हैं उसी तरह सौर भूकंप भी होते हैं जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। सौर कंपन का अध्ययन करने के लिए सूर्य की निगरानी जरूरी है। सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य का पता लगाने के लिए भारत के पहला सौर मिशन 'आदित्य' में सात पेलोड लगे हैं।

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