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    सात जनवरी तक एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा 'आदित्य', इसरो प्रमुख का दावा; पढ़ें कब लॉन्च हुआ था पहला सूर्य मिशन

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Sat, 25 Nov 2023 07:31 PM (IST)

    देश का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। इसरो प्रमुख ने कहा कि सात जनवरी तक आदित्य के एल1 प्वाइंट पर पहुंचने की उम्मीद है। एल1 (लैग्रेंज प्वाइंट) अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल समान होता है। इसका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जाता है।

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    Aditya L1 अपने लक्ष्य के और करीब पहुंचा, इसरो प्रमुख का दावा

    पीटीआई, तिरुअनंतपुरम। सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करने के लिए एल1 की यात्रा पर निकला भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि 'आदित्य' अपनी यात्रा के अंतिम चरण में है। 'आदित्य' के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल-1) में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है।

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    आदित्य एल1 के एल1 बिंदु में प्रवेश की तैयारियां चल रही हैं। संभवत: सात जनवरी तक एल1 प्वाइंट में प्रवेश कराने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

    एल1 क्या है?

    एल1 (लैग्रेंज प्वाइंट) अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल समान होता है। इसका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जाता है।

    आदित्य एल1 को कब लॉन्च किया गया?

    सोलर-अर्थ सिस्टम में पांच लैग्रेंज प्वाइंट्स हैं। आदित्य एल1 के पास जा रहा है। आदित्य एल1 को दो सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया गया था। मिशन के तहत इसरो वेधशाला भेज रहा है। 15 लाख किमी की यात्रा पूरी कर 'आदित्य' सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल-1 की पास की कक्षा में पहुंचेगा। यह पांच साल के मिशन के दौरान एल-1 से ही सूर्य का अध्ययन करेगा।

    यह भी पढ़ें: Aditya L1 Mission नासा के मिशन की कॉपी नहीं आदित्य एल-1, सूर्य के अक्षय ऊर्जा के स्रोत के राज से उठाएगा पर्दा

    'आदित्य' में सात पेलोड लगे हैं। मिशन के तहत सौर वायुमंडल (क्रोमोस्फेयर और कोरोना) की गतिशीलता, सौर कंपन या 'कोरोनल मास इजेक्शन'(सीएमई), पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन किया जाएगा। जिस तरह पृथ्वी पर भूकंप आते हैं, उसी तरह सौर कंपन भी होते हैं, जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है।

    सौर कंपन कभी-कभी उपग्रहों को नुकसान पहुंचाते हैं। सूर्य के अध्ययन से अन्य तारों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी।

    इसरो के राकेट लांच की 60वीं वर्षगांठ समारोह का उद्घाटन

    इसरो के राकेट लांच की 60वीं वर्षगांठ समारोह का केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को उद्घाटन किया। उन्होंने भारत की अंतरिक्ष आकांक्षाओं को वास्तविकता में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की सराहना की। जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान मिशन की सफलता इसरो के पहले राकेट प्रक्षेपण के 60वें वर्ष में मिली।

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    इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में वीएसएससी के निदेशक डॉ. एस. उन्नीकृष्णन नायर समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। केरल के तिरुअनंतपुरम के पास थुंबा से 21 नवंबर 1963 को पहले साउंडिंग राकेट को लांच किया गया था। साउंडिंग राकेट एक या दो चरण वाले ठोस प्रणोदक राकेट हैं, जिनका उपयोग अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए किया जाता है।