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    Aditya L1 Mission: भारत के पहले सोलर मिशन की लॉन्चिंग सफल, तस्वीरों में देखें आदित्य-एल1 का सफर

    भारत ने सफलतापूर्वक अपने पहले सूर्य मिशन को लॉन्च कर दिया है। आदित्य-एल1 मिशन (Aditya-L1 Mission) आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च कर दिया है। इस मिशन की मदद से इसरो अब सूर्य से जुड़े रहस्यों को जवाब खोज कर लाने वाला है। इसको पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अपने लक्षित ऑर्बिट में पहुंचने के लिए चार महीने का समय लगेगा।

    By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 02 Sep 2023 12:41 PM (IST)
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    ISRO Aditya-L1 Solar Mission: तस्वीरों में देखें सफल लॉन्च

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल1 मिशन (Aditya-L1 Mission) सफलतापूर्वक लॉन्च हो चुका है। अब चांद पर फतह करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से सूर्य से जुड़े राज पर से पर्दा हटाने की जिम्मा उठाया है। इस मिशन के सफल लॉन्च के बाद पूरी दुनिया की नजर भारत पर है।

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    आदित्य-एल1 मिशन 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च कर दिया है। आदित्य-एल1 मिशन (Aditya-L1 Mission) भारत का पहला सौर मिशन है।

    इस मिशन की मदद से इसरो सूरज की बाहरी परत कोरोना, कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट), सौर तूफान की उत्पत्ति, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियां और उनकी विशेषताएं आदि कारकों का अध्ययन करेगा। इसके साथ ही, अंतरिक्ष मौसम पर सूर्य की गतिविधियों के प्रभाव की जानकारी भी इकट्ठा की जाएगी।

    आदित्य-एल1 मिशन में चंद्रयान-3 के मुकाबले कम खर्च आया है। दरअसल, इस सौर मिशन में 400 करोड़ रुपये खर्च हुए है, जबकि NASA की ओर से लॉन्च किए गए सौर मिशन में लगभग 12, 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

    वैज्ञानिकों के मुताबिक, आदित्य-एल1 यान पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अपने लक्षित ऑर्बिट में पहुंचने के लिए 4 महीने का लंबा समय लेगा। गौरतलब है कि सोलर-अर्थ सिस्टम में कुल पांच लांग्रेज बिंदु (L Point) है, जहां आदित्य एल1 जा रहा है। पृथ्वी से L1 की दूरी, सूर्य से पृथ्वी की दूरी का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा है।

    आदित्य-एल1 यान का फरवरी में पहली तस्वीर भेजेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यान हर मिनट एक तस्वीर भेजेगा, यानी 24 घंटे में अध्ययन के लिए 1440 तस्वीरें मिल जाएंगी। यह यान अगले पांच सालों तक तस्वीरें भेजने वाला है।

    इस यान में सात पेलोड लगाए गए हैं, जिसमें सबसे बड़ा और चुनौतीपूर्ण पेलोड VELC है। यह पेलोड सभी तस्वीरों को पृथ्वी पर भेजेगा। VELC पेलोड, आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण रहा पेलोड है। 

    सोर्स- इस खबर में दी गई जानकारियां भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की आधिकारिक वेबसाइट एवं अन्य वैश्विक वैज्ञानिक वेबसाइट से कंपाइल कर के लिखी गई हैं। खबर में जागरण में प्रकाशित खबरों का संदर्भ भी लिया गया है।