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    सहारा की परिसंपत्तियों को खरीदने के लिए अदाणी समूह आया आगे, SC ने केंद्र व सेबी से पूछे सवाल

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 08:30 PM (IST)

    सहारा परिवार अपनी 88 परिसंपत्तियों को अदाणी समूह को बेचकर 24,000 करोड़ रुपये के निवेशक विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें अदाणी समूह को ये संपत्तियां बेचने का प्रस्ताव है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और सेबी को नोटिस जारी किया है, और अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

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    सहारा की परिसंपत्तियों को खरीदने के लिए अदाणी समूह आया आगे (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। क्या वर्ष 2012 में सहारा परिवार की दो कंपनियों की तरफ से तीन करोड़ निवेशकों से कुल 24 हजार करोड़ रुपये की राशि जुटाने से जुड़े कानूनी विवाद का हल इस तरह से होगा कि सहारा परिवार की 88 परिसंपत्तियों की बिक्री अदाणी समूह को की जाए और उससे हासिल राशि से निवेशकों या सरकार के बकाये का भुगतान किया जाए? मामला कुछ उसी दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है।

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    मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में सहारा इंडिया कमर्शियल कार्पोरेशन लिमिटेड के उस याचिका पर सुनवाई कि जिसमें 88 परिसंपत्तियों को एकमुश्त अदाणी समूह को बेचने का प्रस्ताव किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार, बाजार की नियामक एजेंसी भारतीय प्रतिभूति नियामक बोर्ड (सेबी) व अन्य को नोटिस भेजा है और इस बारे सवाल पूछे हैं।

    कब होगी अगली सुनवाई?

    मुख्या न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति केके सुंदरेश की पीठ ने वित्त मंत्रालय और कंपनी मामले के मंत्रालय को भी इस मामले में पार्टी बनाने का आदेश दिया है। 17 नवंबर को अगली सुनवाई होगी जिसमें देश के कारोबारी जगत में होने वाले संभवतः इस सबसे अनोखे डील को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।

    सहारा इंडिया कमर्शियल की तरफ से दायर याचिका सितंबर, 2025 में सहारा और अदाणी समूह के बीच किये गये एक समझौते के आधार पर है। इसमें कभी भारतीय कारपोरेट क्षेत्र की सबसे मशहूर कंपनियों में से एक सहारा इंडिया परिवार की तरफ से अपनी 88 परिसंपत्तियों को एक मुश्त राशि में अदाणी समूह को बेचने की बात है। इससे प्राप्त राशि को सीधे सहारा-सेबी रिफंड फंड में डाला जाएगा।

    कितने का है आरोप?

    इस फंड की स्थापना वर्ष 2012 के उस विवाद के संदर्भ में की गई है जिसमें सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर अवैध रूप से “ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स” (ओएफसीडी) जारी करके 24 हजार करोड़ रुपये जुटाने का आरोप है।

    सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2014 में इस राशि को निवेशकों को लौटाने का आदेश दे चुका है। लेकिन सरकार की तरफ से इतने वर्षों में 16 हजार करोड़ रुपये ही लौटाए गए हैं। ऐसे में सहारा अब अपनी देश भर में फैली परिसंपत्तियों को अदाणी को बेचेगा और शेष राशि का भुगतान करेगा।

    अदाणी समूह की रणनीति को मिलेगा बल

    अगर सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल गई तो सहारा समूह की तरफ से सह्याद्री पहाड़ों में बसी लग्जरी टाउनशिप एंबीवैली, मुंबई एयरपोर्ट के पास स्थित सहारा होटल, लखनऊ का सहारा शहर के अलावा गुड़गांव, नोएडा, कर्नाटक, पश्चमी बंगाल, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में स्थित भूखंड अदाणी समूह की हो जाएगी।

    इससे रीयल एस्टेट में तेजी से पैर पसार रही अदाणी समूह की रणनीति को बल मिलेगा। लेन-देन को तेजी से निपटाने के लिए सहारा और अदाणी समूह के बीच एक समझौता भी हुआ है ताकि बगैर किसी खास कानूनी बाधा के इसे अंजाम दिया जा सके।