'कोई मुझे वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता', सपा विधायक ने फिर अलापा हिंदू-मुस्लिम राग
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने 'वंदे मातरम' गाने से इनकार किया है, क्योंकि उनके अनुसार इसमें धार्मिक बातें हैं। उन्होंने भाजपा पर तनाव पैदा करने का आरोप लगाया और स्कूलों में इसे अनिवार्य करने का विरोध किया। महाराष्ट्र सरकार के निर्देश पर विवाद हुआ, जिसके बाद आजमी ने धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला दिया। प्रधानमंत्री मोदी वंदे मातरम के कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।

आजमी का वंदे मातरम गाने से इनकार। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी अपने इस रुख पर कायम हैं कि वह 'वंदे मातरम' नहीं गाएंगे, क्योंकि उनके मुताबिक इसमें धार्मिक बातें हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच तनाव पैदा करने के लिए बीजेपी जिम्मेदार है।
मुंबई के मानखुर्द-शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक आजमी ने स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य करने का भी विरोध किया है. उन्होंने कहा था कि अलग-अलग धर्मों के लोगों को अगर वे ऐसा नहीं करना चाहते तो उन्हें इसमें हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र के स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य
महाराष्ट्र सरकार ने एक निर्देश में सभी स्कूलों से 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक राष्ट्रीय गीत के 150 साल पूरे होने के मौके पर वंदे मातरम का पूरा वर्जन गाने को कहा था। वंदे मातरम गीत को बंकिमचंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर, 1875 को अक्षय नवमी के मौके पर लिखा था। इस मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक ने कहा, "कोई मुझे वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।"
भाजपा पर तनाव फैलाने का आरोप
अजमी ने आगे कहा, "बीजेपी भारत जलाओ पार्टी है। यह एक ऐसी पार्टी है जो भारत को बर्बाद कर देगी। वे धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं, लोगों को बांटते हैं और नफरत फैलाते हैं। वे हमेशा इस बात की प्लानिंग करते रहते हैं कि सत्ता में बने रहने के लिए मुसलमानों को कैसे दबाकर रखा जाए। अगर आप कहानी से मुस्लिम, हिंदू, पाकिस्तान, भारत हटा दें, तो बीजेपी ज़ीरो हो जाएगी।"
जब आजमी से पूछा गया कि क्या वह एक राष्ट्रीय गीत का राजनीतिकरण कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, "एक मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करता है। लेकिन कई मुसलमान जमीन की पूजा करते हैं, जैसे मुख्तार अब्बास नकवी। ऐसे हजारों लोग हैं जो जमीन की पूजा करते हैं।
कुछ मुसलमान शराब पीते हैं। क्या मैं उन्हें पीटने जा रहा हूं? कुछ लोग नमाज़ नहीं पढ़ते, तो क्या मैं उन्हें पीटने जा रहा हूं? हमने कभी किसी चीज पर आपत्ति नहीं जताई। लेकिन सच्चे मुसलमान कभी किसी को अल्लाह के बराबर नहीं मानेंगे।"
धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला दिया
वर्तमान में महाराष्ट्र के स्कूलों में वंदे मातरम के सिर्फ पहले दो छंद गाए जाते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 27 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में निर्देश दिया गया था कि एक हफ्ते तक चलने वाले कार्यक्रम के दौरान पूरा वर्जन गाया जाएगा। जिसके बाद ही ये पूरा विवाद शुरू हुआ.
इस सरकारी निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए आजमी ने कहा था कि इसे अनिवार्य बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि लोगों के धार्मिक विश्वास अलग-अलग होते हैं। उन्होंने कहा था, "इस्लाम मां का सम्मान करने को महत्व देता है, लेकिन उसके सामने झुकने की इजाजत नहीं देता।"

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