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    Nelson Mandela: मैं 27 साल लंबी छुट्टी पर था- रंगभेद से साउथ अफ्रीका को आजाद कराने वाले पहले अश्वेत राष्ट्रपति

    By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Tue, 09 May 2023 04:41 PM (IST)

    Nelson Mandela अपनी जिंदगी के 27 साल जेल में बिताने के बाद 11 फरवरी 1990 को मंडेला की रिहाई हुई। 1990 में दक्षिण अफ्रीका की श्वेत सरकार से समझौते के बाद उन्होंने नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया।

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    Nelson Mandela became the President of South Africa

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। First Black President of South Africa: 'मैं 27 साल की लंबी छुट्टी पर गया था'। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तरह अंहिसा के रास्ते पर चलने वाले नेल्सन मंडेला उर्फ मदीबा ने रंग भेद के खिलाफ लड़ते हुए 27 साल जेल में काटे थे।

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    नेल्सन मंडेला को साल 12 जून, 1964 में आजीवन करावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में मानव इतिहास बदलकर रख दिया था। दक्षिण अफ्रीका के महात्मा गांधी कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला ने जेल में रहकर रंगभेद की नीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने न केवल श्वेत-अश्वेत के बीच के अंतर का खातमा किया बल्कि 10 मई 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया। इस पद पर काबिज होते ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में एक नए युग का आगाज किया।

    दक्षिण अफ्रीका के मर्वेजो गांव में हुआ जन्म

    मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका में ट्रांसकी के मर्वेजो गांव में हुआ था। बचपन में उन्हें प्यार से सभी मदीबा कहकर बुलाते थे। उन्होंने सालों से चल रहे रंगभेद को जड़ से उखाड़ फेंक देने के लिए दक्षिण अफ्रीका की धरती पर लड़ाई लड़ी। वो एक ऐसे शख्स थे, जिन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2009 में मंडेला के जन्मदिन 18 जुलाई को 'मंडेला दिवस' के रूप में घोषित किया।

    जेल में बिताए 27 साल, कोयला खदान में करना पड़ा काम

    1943 में मंडेला पहले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कार्यकर्ता बने और साथ ही वकालत की पढ़ाई की। उन्होंने अपने साथी ओलीवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग में वकालत की। इस दौरान दोनों ने मिलकर रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाया। रंगभेद विरोधी लड़ाई के दौरान ही 1956 में मंडेला समेत 155 कार्यकर्ताओं पर मुकदमा चलाया गया।

    5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमित देश छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 1964 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 27 साल उन्होंने रॉबेन द्वीप के कारागार में बिताया और इस दौरान उन्हें कोयला के खदान में काम करना पड़ा। मंडेला ने इन 27 सालों के दौरान एक पुस्तक भी लिखी जो उनकी जीवनी पर आधारित थी। 1994 में उनकी किताब प्रकाशित हुई जिसका नाम 'लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम' है।

    जेल से रिहाई के बाद बने पहले अश्वेत राष्ट्रपति

    अपनी जिंदगी के 27 साल जेल में बिताने के बाद 11 फरवरी, 1990 को मंडेला की रिहाई हुई। 1990 में दक्षिण अफ्रीका की श्वेत सरकार से समझौते के बाद उन्होंने नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। 1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। 62 प्रतिशत मत प्राप्त कर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई। 10 मई, 1994 का वो ऐतिहासिक पल रहा, जब मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए।

    भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी

    नेल्सन मंडेला ने अपने देश में रंगभेद को जड़ से खत्म करने के लिए जेल में 27 साल बिता दिए। उनके इस बलिदान से देश-दुनिया भी आकर्षित हुई। भारत सरकार ने 1990 में मंडेला को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। बता दें कि मंडेला भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी थे। 1993 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया। 5 दिसंबर 2013 को 95 साल की उम्र में मंडेला का निधन हुआ।

    नेल्‍सन मंडेला के विचार (Nelson Mandela Quotes)

    • मेरे देश में लोग पहले जेल जाते हैं और फिर राष्ट्रपति बन जाते हैं।
    • शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है।
    • एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल हमेशा से विजयी जोड़ी रहे हैं।
    • आप किसी काम में तभी सफल हो सकते हैं जब आप उस पर गर्व करें।
    • जीवन को ऐसे जियो कि जैसे कोई देख नहीं रहा हो और अपने आप को व्यक्त ऐसे करो कि जैसे हर कोई सुन रहा हो।