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    महाकाल मंदिर के समीप खोदाई में दिखने लगा एक हजार साल पुराने मंदिर का ढांचा

    एमपी शासन व महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा करीब 400 करोड़ रूपये की लागत से महाकाल मंदिर क्षेत्र का उन्नयन व सुंदरीकरण किया जा रहा है। मंदिर के पास नवनिर्माण के लिए की जा रही खोदाई में दिसंबर 2020 में यहां एक हजार साल पुराने मंदिर होने के प्रमाण मिले

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Thu, 24 Jun 2021 10:18 PM (IST)
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    जल्द ही खोदाई में मंदिर का पूरा मूलभाग निकलकर सामने आएगा।

    उज्जैन, जेएनएन। मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित ज्योतिर्लिग महाकाल मंदिर के समीप पुरातत्व विभाग की निगरानी में चल रही खोदाई में एक हजार साल पुराने मंदिर का ढांचा नजर आने लगा है। जल्द ही मंदिर का मूलभाग सामने आने की संभावना है। अब तक मजदूरों द्वारा की गई खोदाई में एक हजार साल पुराने परमारकालीन मंदिर के पाषाण खंभ, छत का हिस्सा, शिखर आदि के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

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    इसके अलावा दो हजार साल पुराने शुंग व कुषाण काल में निर्मित मिट्टी के बर्तनों के अवशेष भी मिल चुके हैं। इन सब धरोहरों को खोदाई स्थल के समीप सहेजकर रखा गया है। करीब एक पखवाड़े चली खोदाई के बाद शुक्रवार को एक हजार साल पुराने मंदिर का ढांचा स्पष्ट नजर आने लगा है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही खोदाई में मंदिर का पूरा मूलभाग निकलकर सामने आएगा।

    मध्य प्रदेश शासन व महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा करीब 400 करोड़ रूपये की लागत से महाकाल मंदिर क्षेत्र का उन्नयन व सुंदरीकरण किया जा रहा है। मंदिर के पास नवनिर्माण के लिए की जा रही खोदाई में दिसंबर 2020 में यहां एक हजार साल पुराने मंदिर होने के प्रमाण मिले थे। अनदेखी के चलते पुरासंपदा फिर से जमींदोज होने के कगार पर थी। मामले में सात जून को दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया।

    इसके बाद मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला ने पुराविद् डा. रमेश यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल गठित कर पुरासंपदा का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। दल ने खोदाई स्थल का निरीक्षण कर विभाग को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस पर आयुक्त ने महाकाल मंदिर के गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग की निगरानी में खोदाई कराने का निर्णय लिया था। शोध अधिकारी डा. ध्रुवेंद्र सिंह जोधा को पुरातात्विक विधि से खोदाई कराने का जिम्मा सौंपा गया है।