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    मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की 26/11 की बहादुरी का गवाह बना था एक 'सोफा', मुंबई के ताज होटल की अनोखी कहानी

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 11:38 PM (IST)

    ताज महल होटल में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और चार आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ का एक "मूक गवाह" था। पेपरक्लिप के अनुसार , यह एक सोफा सेट था, जो ताज होटल की पहली मंजिल पर स्थित पामलाउंज से बरामद किया गया था, जिस पर कुल 13 गोलियों के निशान थे।

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    मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की 26/11 की बहादुरी का गवाह बना था एक 'सोफा' (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई का आतंकी हमला आज भी लोगों के मन को झकझोर देता है। इस हमले को लेकर सैंकड़ों कहानी गढ़ी गई हैं लेकिन हम आपको एक अनोखी कहानी बताने जा रहे हैं। कहते हैं कि... अगर निर्जीव बोल पाते, तो हम उनसे उन अनगिनत कहानियों के बारे में पूछ सकते थे जिनके हम कभी गवाह नहीं रहे। ऐसी ही एक कहानी एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की है, जो 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान शहीद हुए वीरों में से एक थे।

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    बता दें कि कसाब समेत 10 आतंकियों ने मुंबई में आतंकी हमला किया था जिनमें ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस और कामा अस्पताल जैसे ऐतिहासिक स्थलों को निशाना बनाया गया था।

    ताज महल होटल में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और चार आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ का एक "मूक गवाह" था। पेपरक्लिप के अनुसार , यह एक सोफा सेट था, जो ताज होटल की पहली मंजिल पर स्थित पाम लाउंज से बरामद किया गया था, जिस पर कुल 13 गोलियों के निशान थे।

    पेपरक्लिप की पोस्ट के अनुसार यह सोफा पहली मंजिल पर मौजूद था जिस पर आतंकियों और मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना के विशिष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के एक अधिकारी थे, जो अपनी असाधारण बहादुरी के लिए प्रसिद्ध थे।

    जनवरी, 2007 में उन्होंने एनएसजी के 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप को ज्वाइन किया। 26/11 के आतंकी हमले के दौरान एनएसजी द्वारा आपरेशन ब्लैक टारनेडो चलाया गया। इसके तहत मेजर संदीप 10 कमांडो की टीम के साथ होटल में गए।

    करीब 15 घंटे तक चले इस ऑपरेशन के दौरान उन्होंने होटल में फंसे कई लोगों और आतंकियों की फायरिंग में घायल अपने साथियों को बाहर निकाला।

    इस बीच आतंकियों को घेरने के इरादे से 27 नवंबर को मेजर संदीप और उनकी टीम ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का जोखिमभरा निर्णय लिया। यह देख आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें उनके साथी कमांडो सुनील जोधा बुरी तरह से घायल हो गए।

    मेजर संदीप ने अकेले ही आतंकियों का पीछा किया और वह उन्हें होटल के उत्तरी बालरूम में घेरने में सफल रहे। अन्य लोगों का जीवन बचाते हुए इस मुठभेड़ में बलिदान हो गए। उनके इस प्रयास से एनएसजी का ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो सफल हो पाया। मेजर संदीप को मरणोपरांत साल 2009 में अशोक चक्र अवार्ड से सम्मानित किया गया।