Dharmendra Death: एक स्टार एक्टर और लोकसभा सांसद... अभिनेता से नेता बने धर्मेंद्र का कैसा रहा राजनीतिक सफर?
दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर पीएम मोदी समेत कई हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। धर्मेंद्र ने अपने फिल्मी करियर में कई पुरस्कार जीते और उन्हें दुनिया के सबसे खूबसूरत पुरुषों में गिना गया। उन्होंने 2004 में भाजपा में शामिल होकर राजनीति में भी कदम रखा, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा। बाद में उन्होंने राजनीति छोड़ दी।

धर्मेंद्र का पॉलिटिकल करियर।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार और बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र का 89 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अपने 90वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले सोमवार को मुंबई के अपने घर में अंतिम सांस ली।
सिनेमा से लेकर राजनीतिक हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी मृत्यु भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत है। पीएम मोदी ने कहा, "वह एक प्रतिष्ठित फिल्मी हस्ती, एक अभूतपूर्व अभिनेता थे, जो अपनी हर भूमिका में आकर्षण और गहराई लाते थे। जिस तरह से उन्होंने विविध भूमिकाएं निभाईं, उसने अनगिनत लोगों को प्रभावित किया। धर्मेंद्रजी को उनकी सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी के लिए भी उतना ही सराहा जाता था। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के साथ हैं।"
दुनिया के सबसे खूबसूरत पुरुष रहे धर्मेंद्र
अभिनेता का सिल्वर स्क्रीन पर शानदार करियर रहा, जिसमें कई लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार जीतना और 70 के दशक में उन्हें दुनिया के सबसे खूबसूरत पुरुषों में से एक चुना जाना भी शामिल था। अभिनेता ने एक राजनेता के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था।
कैसा रहा राजनीतिक सफर?
2004 के लोकसभा चुनाव से पहले धर्मेंद्र भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। भाजपा से धर्मेंद्र की सिनेमाई पूंजी पर भरोसा किया और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी जैसे हाई-प्रोफाइल नेताओं के चुनाव प्रचार में भी उतारा।
उन्हें राजस्थान की बीकानेर सीट से मैदान में उतारा गया, जो तब कांग्रेस ने लगातार दो बार जीती थी। चौधरी लाल डूडी को लगभग 60,000 वोटों और लगभग छह प्रतिशत वोट शेयर से हराकर शानदार प्रदर्शन किया।
एक सांसद के तौर पर उनका कार्यकाल आलोचनाओं से भरा रहा क्योंकि जब सदन चल रहा होता था तो वह फिल्में करने में व्यस्त रहते थे। उनकी औसत से कम उपस्थिति का रिकॉर्ड को लेकर विरोधी दल के नेता लगातार निशाना साध रहे थे।
धर्मेंद्र को जल्द ही पता चल गया कि राजनीति करना उनके बस की बात नहीं है। अपने कार्यकाल के अंत में उन्होंने घोषणा की कि वह कभी वापस नहीं लौटेंगे। उस वक्त सनी देओल ने बाद में पत्रकारों से कहा कि उनके पिता को "राजनीति पसंद नहीं थी और उन्हें इसमें शामिल होने का अफसोस है।"

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