गांव वालों ने पत्नी को पानी भरने नहीं दिया पति ने कुआं खोद लिया
महाराष्ट्र के सूखा पीडि़त विदर्भ क्षेत्र में वाशिम जिले के कोलांबेश्वर गांव में दलित महिला को गांव वालों ने पानी नहीं भरने दिया तो उसका पति ने कुअां खोदकर मिसाल कायम किया।
नागपुर, प्रेट्र। ऊंची जाति के लोगों ने जिस दलित की पत्नी को पानी तक पहुंचने की इजाजत नहीं दी उसने अपना ही कुआं खोदने का संकल्प ले लिया। कड़ी मेहनत का नतीजा है कि इलाके के दलित समुदाय की प्यास बुझ रही है। महाराष्ट्र के सूखा पीडि़त विदर्भ क्षेत्र में वाशिम जिले के कोलांबेश्वर गांव में पेशे से मजदूर बापूराव ताजने ने इस कठिन परिश्रम को अंजाम तक पहुंचाया है।
ताजने की पत्नी को ग्रामीणों ने कुएं से पानी लेने की इजाजत नहीं दी। ताजने ने समुदाय के एक बड़े हिस्से के साथ हो रहे इस तरह के सामाजिक भेदभाव का बदला लेने की ठान ली। 40 दिनों तक कुआं खोदने का काम चलता रहा और पानी मिलते ही ताजने की खुशी का ठिकाना न रहा। पूरे आत्मविश्वास से भरे ताजने ने बताया कि अपनी कड़ी मेहनत के बाद प्रचुर भूजल मिलने से वह खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं।
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ताजने की पत्नी को पानी भरने की इजाजत नहीं दिए जाने की खबर अधिकारियों तक पहुंची। वाशिम जिले के प्रशासक ने तहसीलदार क्रांति डोंबे को गांव का दौरा करने को कहा। डोंबे ने कहा कि ताजने के काम की सराहना करते हुए जिला प्रशासन ने उसे प्रतिबद्धता और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक माना है। तहसीलदार ने कहा कि सरकार ने ताजने की असाधारण उपलब्धि को ध्यान में लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि महिला को पानी लेने से रोकने वाले ग्रामीणों की पहचान नहीं होने से एससी एवं एसटी (उत्पीड़ण रोकथाम) अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई नहीं जा सकी है।
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