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    'जल्द फैसला लिया जाएगा..': धन विधेयक की तरह कानून पारित करने की जांच के लिए पीठ गठित करने पर बोला SC

    Updated: Mon, 15 Jul 2024 04:12 PM (IST)

    आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाओं की सूचीबद्ध करने की जरूरत है ताकि उन पर सुनवाई हो सके। सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ से अपील की है।

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    धन विधेयक की याचिकाओं की सुनवाई के लिए गठित होगी पीठ (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर विचार करने पर सहमति जताई है।

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    मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से अपील करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाओं की सूचीबद्ध करने की जरूरत है ताकि उन पर सुनवाई हो सके।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के भी प्रमुख हैं, ने आग्रह किया कि दलीलें पूरी हो चुकी हैं और याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है।

    सरकार पर लगाए गए गंभीर आरोप

    सीजेआई ने कहा, जब मैं संविधान पीठ का गठन करूंगा, तब मैं इस पर फैसला लूंगा।

    दरअसल धन विधेयक को लेकर विवाद तब उठा जब सरकार ने आधार अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम में कई संशोधनों को धन विधेयक के रूप में पेश किया था। इसके चलते इन विधेयकों को राज्यसभा में पेश नहीं किया गया, जहां सरकार के पास बहुमत नहीं था।

    इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए ही कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित कराया।

    धन विधेयक एक ऐसा विधेयक है जिसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है और राज्यसभा उसमें संशोधन या अस्वीकृति नहीं कर सकती। उच्च सदन केवल सिफारिशें कर सकता है जिन्हें निम्न सदन स्वीकार कर सकता है या नहीं भी कर सकता है।

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