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    शेहला मर्डर: बुलंदियों के शार्टकट ने बना दिया अपराधी

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    Updated: Thu, 01 Mar 2012 03:49 PM (IST)

    उसकी सास फातिमा परवेज ने मीडिया के सामने खुलकर बहू के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली। फातिमा बी के मुताबिक, जाहिदा लड़ाकू थी। उसका बर्ताव बेहद खराब था। अपने आग ...और पढ़ें

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    भोपाल/कानपुर। भोपाल के शेहला मसूद हत्याकांड को अंजाम देने वाला इरफान उर्फ श्याम मूलगंज थानांतर्गत तलाक महल निवासी रेडीमेड कपड़ों का काम करने वाले प्यारे उर्फ गुलाम अली के पांच बच्चों में तीसरे नंबर का है। उसने बुलंदियों पर पहुंचने के लिए स्मैक बिक्री का शार्टकट रास्ता अपनाकर अपराध जगत में कदम रखा। उसका साथ बचपन के साथी तिरपाल का हाता निवासी स्मैक तस्कर ईदू उर्फ महफूज ने दिया।

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    तलाक महल निवासी प्यारे का बेटा इरफान हाईस्कूल की पढ़ाई करते हुए अपने पिता का हाथ बटाता था। साथी स्मैक तस्कर ईदू के रहन सहन से प्रभावित होकर उसने अपराध की राह पकड़ ली। दो चार पुड़िया स्मैक की बिक्री करने वाला इरफान देखते ही देखते ईदू के बराबर आ खड़ा हुआ। इसके चलते बमबाजी तक हुई। बाद में शानू बॉस ने समझौता कराकर मामला रफा दफा करा दिया जबकि मूलगंज थाने में उसकी एनसीआर दर्ज हुई थी।

    इसके बाद उसने स्मैक बिक्री के साथ ही शानू ओलंगा के साथ कांट्रेक्ट पर हत्याएं करना शुरू कर दिया। इसी दौरान उसका गुड़िया नाम की युवती संग निकाह हो गया। गुड़िया से उसके दो बच्चे भी हैं। उसका एक भाई सउदी में है और दूसरा पिता का हाथ बटाता है। वहीं एक बहन ने उससे नाता तोड़ रखा है जबकि एक बहन गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेशी के दौरान उससे मिलने भी गयी। हालांकि परिवार का कोई भी शख्स उसकी गिरफ्तारी पर बोलने को तैयार नहीं है।

    इरफान उर्फ श्याम का अपराधिक इतिहास

    -तलाक महल निवासी प्यारे का 35 वर्षीय पुत्र इरफान उर्फ श्याम पुलिस की नजर में सबसे पहली बार 2007 में आया। जब स्मैक व चरस की बिक्री को लेकर पहली बार गिरफ्तार होकर जेल गया। साथ ही कई छिटपुट घटनाओं के चलते उस पर 2007 के अंत में गैंगस्टर की भी कार्रवाई की गयी।

    पुलिसिया कार्रवाई के बाद वह शानू बॉस की शागिर्दी में आ गया। 2010 में उन्नाव में अवैध शराब की बिक्री और फिर स्मैक को लेकर हुई मारपीट में पुलिस पैरोकार जय सिंह को गोली मारने की घटना से वह पुलिस की नजरों में आ गया। तब तक इसकी आपराधिक जमीन इतनी मजबूत हो चुकी थी कि पुलिस इसे पकड़ नहीं सकी।

    वहीं इरफान ने खुद को एसटीएफ से बचने के लिए आगरा में सरेंडर कर दिया। इस समय वह शहर के नामी स्मैक तस्कर सराफत के साथ काम कर रहा था।

    लड़ाकू थी जाहिदा!

    -असद का परिवार प्रगतिशील सोच वाला था, लिहाजा निकाह के बाद जाहिदा की ख्वाहिश पर उसे भोपाल के पॉलिटेक्निक कॉलेज से इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा करने की इजाजत दे दी गई। डिप्लोमा पूरा होने के बाद उसने अपनी स्वतंत्र पहचान कायम करने की गरज से अलग कारोबार खोलने की इच्छा जाहिर की, जिसका परिजनों ने सम्मान किया और एमपी नगर जोन वन में एक शानदार दफ्तर खुलवा दिया। इसके बाद से जाहिदा नए नए संपर्क बनाने और उनके जरिए काम लेने में जुट गई। जैसे-जैसे जाहिदा का काम बढ़ता गया, ससुराल वालों के संग उसके बर्ताव में अंतर आता चला गया।

    उसकी सास फातिमा परवेज ने मीडिया के सामने खुलकर बहू के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली। फातिमा बी के मुताबिक, जाहिदा लड़ाकू थी। उसका बर्ताव बेहद खराब था। अपने आगे वह किसी को कुछ नहीं समझती थी। उन्होंने कहा कि जो जैसे काम करेगा, अल्लाह उसे वैसी ही सजा देगा।

    शेहला मर्डर: कहानी अभी बाकी है!

    -उसका नाम जाहिदा है। जिसका मतलब होता है गुनाहों से पाक-साफ खातून। लेकिन कर दिया गुनाह अजीम। सीबीआई के मुताबिक तीन लाख रुपये की सुपारी देकर एक खातून यानी महिला का ही कत्ल करवा दिया। सामाजिक सरोकारों के लिए लड़ रही आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद का कत्ल।

    कॉन्वेंट कल्चर में पली-बढ़ी यह जाहिदा आकर्षक व्यक्तित्व की धनी और प्रतिष्ठित परिवार की बहू है। पेशे से इंटीरियर डिजाइनर। रंजिश ऐसी गहरी कि भाड़े के हत्यारों को फरमान दिया था-'कत्ल की खबर सबसे पहले मुझे मिलनी चाहिए।'

    गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को जांच एजेंसी को बताया था कि उसके पति से शेहला के नाजायज ताल्लुकात थे। बदला लेने के लिए मौत के घाट उतरवा दिया। लेकिन बुधवार को मजिस्ट्रेट के सामने पलट गई। दावा किया कि वह शेहला को पहचानती तक नहीं।

    अब पलट गई अपनी बयान से..

    -शेहला हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने मंगलवार को भोपाल में जाहिदा परवेज और शाकिब डेंजर को गिरफ्तार किया था। शाकिब ने जाहिदा को शूटर उपलब्ध कराए थे। जिनमें एक इरफान को मंगलवार को ही कानपुर के बेकनगंज से दबोच लिया गया था।

    बुधवार को जाहिदा और शाकिब डेंजर को बुधवार की दोपहर इंदौर में सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया। मजिस्ट्रेट शुभ्रा सिंह ने दोनों को छह मार्च तक के पुलिस रिमांड पर दिया है। अदालत में जाहिदा ने कहा कि वह शेहला को जानती तक नहीं है। सीबीआई उसे प्रताड़ित कर रही है। इस पर मजिस्ट्रेट ने आदेश दिया कि प्रतिदिन उसका मेडिकल चेकअप कराया जाए।

    अवैध संबंध वजह नहीं!

    -जाहिदा से सीबीआई ने भोपाल के महिला थाने में लंबी पूछताछ की है। उसने अपने पति असद परवेज से शेहला के अवैध संबंधों के कारण हत्या कराने की बात कही है। लेकिन बुधवार शाम तक की जांच के बाद सीबीआई ने उसके इस तर्क को खारिज कर दिया है। असद परवेज से सीबीआइ बात कर चुकी है और उसे अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है।

    डेंजर के कॉल ने पकड़वाया

    -शेहला का कत्ल भोपाल के कोह-ए-फिजा इलाके में हुई थी। सीबीआई सूत्र बताते हैं कि जाहिदा, हत्याकांड के छह महीने बाद यह सोच बैठी थी कि अब उस तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाएंगे। वह अपने काम में मशगूल हो गई। लेकिन सीबीआई ने सुराग तलाश ही लिया। इसकी कहानी भी दिलचस्प है।

    सीबीआई ने कोह-ए-फिजा इलाके के सभी मोबाइल टॉवर से जुड़ी कॉल डिटेल निकलवाई थी। हजारों फोन कॉल की जांच के बाद सीबीआई शाकिब और जाहिदा पर नजर रखे थी। शेहला को जैसे ही कानपुर से आए हत्यारों ने गोली मारी, शाकिब ने जाहिदा को कॉल कर इसकी इत्तला दी। यही कॉल सीबीआई को चर्चित मर्डर मिस्ट्री की रहस्य तक गया।

    जाहिदा ने शेहला के कत्ल के लिए शाकिब डेंजर से संपर्क किया। शाकिब कानपुर के तलाक महल इलाके में रहने वाले इरफान से मिला। इरफान अपने साथ शानू ओलंगा और सलीम को साथ लाया था। दस अगस्त को जाहिदा ने काली इंडिका कार से जाकर उन्हें दो लाख रुपये दिए। बाकी रकम काम हो जाने के बाद देना तय हुआ। 20 नवंबर को शानू की कानपुर में हुए एक गैंगवार में रईस बनारसी और राजकुमार उर्फ मामा बिंद ने हत्या कर दी थी।

    भोपाल के पुराने शहर से पकड़े गए शाकिब डेंजर ने सीबीआई को बताया कि तीनों शूटरों के साथ वह भी 16 अगस्त को शेहला के घर गया था। इससे पहले उन्होंने कई बार रेकी भी की थी। शाकिब एक अलग बाइक से था और तीनों शूटर एक बाइक से थे। बाइक जाहिदा ने उपलब्ध कराई थी। गोली मारने के बाद शानू आगरा और इरफान व सलीम कानपुर चले गए थे। शाकिब इस दौरान भोपाल में ही घूमता रहा। सीबीआई को अब इस मामले में तीसरे शूटर सलीम की तलाश है।

    भाजपा से जुड़ा है शाकिब

    -शाकिब डेंजर के खिलाफ भोपाल के टीला जमालपुरा थाने में 25 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें हत्या का मामला भी है। वह दो महीने पहले जिलाबदर हुआ है। थाने के पास ही उसका घर है और सीबीआई ने इस जिलाबदर को उसके घर से ही गिरफ्तार किया।

    शाकिब की मुहल्ले में रसूख है। उसने अपने घर और आसपास भाजपा के झंडे-बैनर लगा रखे थे। इसमें जिले से लेकर प्रदेश भाजपा नेताओं के फोटो थे। शाकिब के पकड़े जाने के बाद यह आनन-फानन हटाए गए। पिछले साल 29 नवंबर को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सम्मेलन में भी शाकिब काफी सक्रिय था। वह मंच पर भी देखा गया था।

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