एक साथ चुनाव हुए तो ईवीएम का क्या होगा? चुनाव आयोग ने EVM को लेकर लगाया ये अनुमान
Election Commission News एक साथ चुनाव में ईवीएम के लिए 800 अतिरिक्त गोदामों की जरूरत हो सकती है। यह अनुमान चुनाव आयोग ने लगाया है। जेपीसी के साथ साझा किए दस्तावेज में आयोग के विचार शामिल हैं। चुनाव आयोग ने एक देश-एक चुनाव के विभिन्न पहलुओं पर मार्च 2023 में विधि आयोग और केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ अपने विचार साझा किए थे।
पीटीआई, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने अनुमान लगाया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने की स्थिति में ईवीएम और अन्य उपकरणों को स्टोर करने के लिए देशभर में 800 अतिरिक्त गोदामों की जरूरत हो सकती है।
चुनाव आयोग ने एक देश-एक चुनाव के विभिन्न पहलुओं पर मार्च 2023 में विधि आयोग और केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ अपने विचार साझा किए थे। इस मुद्दे पर आयोग के विचार को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के सदस्यों के साथ साझा किए गए दस्तावेज में शामिल किया गया है।
एक साथ चुनाव के पहलुओं पर जेपीसी कर रही विचार
एक देश, एक चुनाव से संबंधित संविधान (129वां) संशोधन विधेयक और इससे जुड़े एक अन्य विधेयक के पहलुओं पर जेपीसी विचार कर रही है। चुनाव आयोग ने कहा है, एक साथ चुनाव होने की स्थिति में ईवीएम/वीवीपीएटी के सुरक्षित भंडारण के लिए लगभग 800 अतिरिक्त गोदामों की आवश्यकता होगी।
फंड की जरूरत और प्रशासनिक कठिनाइयां भी
इसके साथ ही गोदामों में सुरक्षा के लिए सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, निरीक्षण, फायर अलार्म, सीसीटीवी कैमरे जैसे सिस्टम के लिए भी फंड की जरूरत होगी। प्रशासनिक कठिनाइयां भी हैं।
2012 में चुनाव आयोग ने शुरू किया था यह काम
देश में लगभग 772 जिले हैं। जुलाई 2012 में चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और वोटर वेरिफियेबल पेपर आडिट ट्रेल मशीन्स (वीवीपीएटी) के भंडारण के लिए प्रत्येक जिले में गोदामों का निर्माण शुरू किया था। 326 जिलों में नए गोदामों के निर्माण की आवश्यकता है। मार्च 2023 तक 194 गोदामों का निर्माण पूरा हो चुका है।
आखिरी बार 1967 में हुए थे एक साथ चुनाव
देश में वन नेशन वन इलेक्शन के फॉर्मेट में आखिरी बार एक साथ चुनाव साल 1967 में हुए थे। तब यूपी जिसे पहले यूनाइटेड प्रोविंस कहा जाता था, को छोड़कर पूरे देश में एक चरण में चुनाव हुए। यूपी में उस वक्त भी 4 चरण में चुनाव कराने पड़े थे।
1967 का इलेक्शन आजादी के बाद चौथा चुनाव था। तब 520 लोकसभा सीटों और 3563 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले गए थे। इस वक्त तक सत्ता में केवल कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद न सिर्फ इंदिरा गांधी को सहयोगियों के विरोध से जूझना पड़ रहा था, बल्कि कांग्रेस के खिलाफ देश में भी विरोधी लहर चलने लगी थी।
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