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    'हर साल 80 लाख नौकरियां', भारत कैसे बनेगा विकसित देश? नागेश्वरन ने बताया पूरा प्लान

    देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि विकसित देश बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कम से कम अगले 10-12 वर्षों तक प्रति वर्ष 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगे। हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना है। भारत के आकार के अलावा सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगले 10-20 वर्षों में बाहरी वातावरण उतना अनुकूल नहीं रहने वाला है।

    By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 21 Apr 2025 07:06 PM (IST)
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    भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के लिए 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होगी: वी. अनंत नागेश्वरन।(फाइल फोटो)

    पीटीआई, न्यूयॉर्क। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कम से कम अगले 10-12 वर्षों तक प्रति वर्ष 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी।

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    भारत के लिए क्या है दो सबसे बड़ी चुनौती?

    नागेश्वरन ने शनिवार को यहां कहा, 'हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना है। भारत के आकार के अलावा सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगले 10-20 वर्षों में बाहरी वातावरण उतना अनुकूल नहीं रहने वाला है, जितना 1990 से शुरू होकर अगले 30 सालों तक रहा है।'

    उन्होंने कहा, 'यह तो तय है कि आप एक सीमा से ज्यादा बाहरी वातावरण पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। हमें कम से कम अगले 10 से 12 वर्षों तक प्रति वर्ष 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी और जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा बढ़ाना होगा। चीन ने मैन्यूफैक्चरिंग में जबरदस्त प्रभुत्व हासिल कर लिया है और खासकर कोरोना के बाद।

    कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में आयोजित कार्यक्रम में नागेश्वर ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), प्रौद्योगिकी और रोबोटिक्स ऐसी चुनौतियां हैं, जिनका सामना आज के कुछ विकसित देशों को अपनी विकास यात्रा में नहीं करनी पड़ी है।

    भारतीय व्यवसायों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ना होगा: वी. अनंत नागेश्वरन

    उन्होंने कहा, 'भारत अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए उसे भारतीय व्यवसायों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ना होगा और साथ ही एक व्यवहार्य लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र बनाना होगा, क्योंकि मैन्यूफैक्चरिंग और एमएसएमई दोनों एक साथ चलते हैं।

    उन्होंने कहा, जो देश मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में महाशक्ति बन गए, वे व्यवहार्य लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र के बिना ऐसा नहीं कर पाए।

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