Republic Day 2025: कर्तव्य पथ पर दिखा 'लघु भारत', 5000 कलाकारों ने प्रदर्शन से मोह लिया जनता का मन
गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान कर्तव्य पथ परदेश के विभिन्न भागों से आए पांच हजार कलाकारों ने हिस्सा लिया। वे अपने साथ अपना रंग अपनी वेशभूषा और संस्कृति लेकर आए थे जो समग्र रूप से भारत के रंग में विलीन हो गए। परेड समाप्त होने के बाद भी कई अतिथियों ने कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाने या सेल्फी लेने का प्रयास किया।
पीटीआई, नई दिल्ली। देश के विभिन्न भागों से आए पांच हजार कलाकारों ने रविवार को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान कर्तव्य पथ पर 45 विभिन्न नृत्य शैलियों का प्रदर्शन कर मन मोह लिया। अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से होने के बावजूद वे एक सूत्र में जुड़े दिखे।
हिमाचल प्रदेश से लेकर आंध्र प्रदेश और मणिपुर से लेकर गुजरात तक कर्तव्य पथ पर 'लघु भारत' उतर आया, क्योंकि पारंपरिक वेशभूषा पहने कलाकारों ने एक टीम की तरह प्रदर्शन किया।
शंकर महादेवन ने दिया संगीत
उनकी सफलता के पीछे केवल कठोर अभ्यास ही नहीं था, बल्कि उनके बीच अंतर-सांस्कृतिक संबंध भी नजर आया। संस्कृति मंत्रालय द्वारा 'जयति जय मां भारतम' प्रस्तुति में 11 मिनट का सांस्कृतिक प्रदर्शन किया गया।
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देशभर से आए 5000+ कलाकारों ने लोक और जनजातीय नृत्यों के द्वारा कर्तव्य पथ पर भव्यता से प्रस्तुत किया। (1/2)#RepublicDayParade #JayatiJaiMamahBharatam2025 pic.twitter.com/76vuv8Ebr9
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) January 26, 2025
यह परेड के मुख्य आकर्षणों में एक रहा। इसके गीत सुभाष सहगल ने लिखे और संगीत शंकर महादेवन ने दिया। विभिन्न नदियों की धाराओं की तरह कर्तव्य पथ पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने सभी कलाकार अलग-अलग राज्यों से आए थे।
विभिन्न संस्कृतियों का दिखा संगम
- वे अपने साथ अपना रंग, अपनी वेशभूषा और संस्कृति लेकर आए थे, जो समग्र रूप से 'भारत के रंग' में विलीन हो गए। प्रदर्शन में दृश्य प्रभाव और समन्वय इतना था कि समारोह में मौजूद एक आधिकारिक कमेंटेटर ने यहां तक कह दिया कि यह कर्तव्य पथ पर गणतंत्र के कुंभ जैसा लग रहा था, जो विभिन्न संस्कृतियों का संगम था।
- परेड समाप्त होने के बाद भी कई अतिथियों ने कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाने या सेल्फी लेने का प्रयास किया। जिन नृत्य शैलियों का प्रदर्शन किया गया, उनमें झिझिया (बिहार), मयूर रास (उत्तर प्रदेश), डांगी (गुजरात), लंबाडी (तेलंगाना), काबुई (मणिपुर) और छऊ (बंगाल) शामिल थीं।
लोगों में दिखा उत्साह
मणिपुर के 25 वर्षीय अल्बर्टसाना राजकुमार और 19 वर्षीय लैंगलेन ने बताया कि किस तरह से नृत्य के लय में आने के लिए उन्हें महीने भर अभ्यास और सांस्कृतिक जुड़ाव की जरूरत पड़ी।
राजकुमार ने कहा, प्रदर्शन के बाद हमें बहुत अच्छा लगा। हमें लगता है कि हम सभी ने अच्छा प्रदर्शन किया। समारोह के बाद लोगों ने जो गर्मजोशी दिखाई, उससे पता चलता है कि हमने कुछ अच्छा किया।
कलाकारों के साथ जुड़ने का अवसर
पेशे से वास्तुकार मणिपुरी कलाकार ने नृत्य को अपना जुनून बताया। कहा कि यह नृत्य ही था, जो उन्हें दूसरी बार दिल्ली लेकर आया। लैंगलेन ने कहा कि लोग उनकी रंग-बिरंगी वेशभूषा की ओर आकर्षित हो रहे थे, खास तौर पर प्रदर्शन के बाद।
जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रदर्शन करने के चलते उन्हें अलग-अलग संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों के साथ जुड़ने का अवसर मिला, तो दोनों ने सहमति जताते हुए कहा-निश्चित रूप से।
सम्पूर्ण कर्तव्य पथ हुआ शामिल
पहली बार इस प्रदर्शन में विजय चौक और सी हेक्सागन से लेकर सम्पूर्ण कर्तव्य पथ को शामिल किया गया। इससे सभी स्थानों से अतिथियों को प्रस्तुति की झलक मिल पाई।
संगीतमय प्रस्तुति में भारत के कोने-कोने से आए युवा शक्ति, कलात्मक विरासत और महिला सशक्तीकरण का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों ने भाग लिया। इस दौरान भारत की संस्कृति और विरासत की विविधता नजर आई।
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