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    कांग्रेस संदेश ने किया शहीदों की जाति का उल्लेख

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    Updated: Thu, 17 Nov 2011 04:54 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। आजादी की लड़ाई लड़ते हुए शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने शायद कभी सोचा भी नहीं होगा कि आजाद भारत में किसी दिन उन्हें जाति के खांचे में फिट कर उनकी पहचान बताई जाएगी। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन की झंडाबरदार रही कांग्रेस पार्टी ने ऐसा किया है। पार्टी के मुखपत्र 'कांग्रेस संदेश' के मार्च माह के अंक में इन शहीदों की जाति का उल्लेख करते हुए इनकी पहचान बताई गई है। भगत सिंह को जाट सिख और राजगुरु को ब्राह्माण बताया गया है। जबकि सुखदेव को अंग्रेज पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स का हत्यारा कहा गया है।

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    सत्ताधारी पार्टी की इस हरकत पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह के भतीजे अभय सिंह संधू ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। संधू ने कहा, ''उन्होंने [भगत सिंह ने] एक भारतीय के रूप में जन्म लिया था। औपनिवेशक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपना जीवन राष्ट्र के लिए कुर्बान कर दिया न कि किसी क्षेत्र, धर्म या जाति के लिए।'' भाजपा और अकाली दल ने भी इसे शहीदों का अपमान बताते हुए कहा है कि कांग्रेस देश से माफी मांगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह राष्ट्र के नायकों का अपमान है। विभिन्न पुस्तकों के जरिए कांग्रेस पहले भी कई बार ऐसा करती आई है। लेकिन अब वह सारी सीमाएं लांघ गई है। कांग्रेस पार्टी को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। जबकि अकाली दल के अध्यक्ष व पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि शहीदों को जाति एवं धर्म के आधार पर नहीं बांटा जा सकता। कांग्रेस ने ऐसा करके जघन्य अपराध किया है। इसके लिए उसे पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

    मुखपत्र में छपा है क्या

    कांग्रेस संदेश के मार्च अंक में कहा गया है कि भगत सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जिनका जन्म लायलपुर पंजाब में एक जाट सिख परिवार में हुआ था। वह ब्रिटिश राज के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे थे। शिवराम हरि राजगुरु के बारे में कांग्रेस मुखपत्र कहता है कि वह महाराष्ट्र के भारतीय क्रांतिकारी थे और देशस्थ ब्राह्माण समुदाय से ताल्लुक रखते थे। उनका जन्म पुणे के निकट खेड़ नामक स्थान पर हुआ था। इसी प्रकार सुखदेव के बारे में भी कांग्रेस मुखपत्र में लिखा गया है। जिसमें कहा गया है कि सुखदेव थापर का जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जो पुलिस की अत्यधिक पिटाई के कारण लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए शहीद भगत सिंह और राजगुरु के साथ ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे पी सांडर्स की हत्या में शामिल थे।

    कांग्रेस ने कहा, कुछ भी अनुचित नहीं किया

    हालांकि कांग्रेस को इसमें कुछ भी अनुचित नहीं दिख रहा है। मुखपत्र के संपादक अनिल शास्त्री ने कहा, 'इसको तूल नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि शहीदों की जाति का उल्लेख करना जीवन वृतांत का हिस्सा है।' शास्त्री के मु़ताबिक, स्कूल और कॉलेज में जब हमें इतिहास पढ़ाया जाता है और जब महात्मा गांधी का उल्लेख होता है तो यह बताया जाता है कि वह गुजराती बनिया परिवार में जन्मे थे।

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