दुनियाभर में प्रतिदिन 73 करोड़ महिलाएं हो रही हिंसा का शिकार, जानिए- भारत की स्थिति
दुनियाभर में महिलाएं अपना अलग मुकाम हासिल कर रही हैं लेकिन अपने घर में ही उनके साथ हिंसा हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक हर आठ घंटे में विदेश में रहने वाली एक भारतीय महिला अपने घरवालों से फोन कर सहायता मांगती है।

नई दिल्ली, डा. मोनिका शर्मा। गत दिनों उत्तर प्रदेश के बिजनौर की एक बेटी मनदीप ने अमेरिका के न्यूयार्क शहर में घरेलू हिंसा से तंग आकर खुदकुशी कर ली। उसने एक वीडियो में पति पर मारपीट करने और मायके वालों से दहेज मांगने का आरोप लगाया है। वायरल हुआ यह वीडियो भारत ही नहीं, दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह दुखद वाकया बताता है कि दूर देश जा बसने भर से सोच में बदलाव नहीं आ जाता।
यही वजह है कि विदेश में बसे कुछ भारतीय परिवार भी स्त्रियों के प्रति हद दर्जे का पुरातन सोच रखते हैं। उनके साथ दोयम दर्जे का दमनकारी व्यवहार करते हैं। इतना ही नहीं, बेटियों के जन्म को लेकर पुरातनपंथी सोच रखने वाले पराई धरती पर भी कम नहीं। भले ही वहां का समाज बेटे-बेटी के भेदभाव से परे हो, पर यह सोच वहां बसे कई भारतीय परिवारों में आज भी मौजूद है। भारतीय विदेश मंत्रलय के आंकड़ों के मुताबिक हर आठ घंटे में विदेश में रहने वाली एक भारतीय महिला अपने घरवालों से फोन कर सहायता मांगती है। उनकी परेशानी की वजह अधिकतर घरेलू हिंसा, दहेज की मांग, जीवनसाथी का विवाहेत्तर संबंध और अपमानजनक बर्ताव जैसी समस्याएं ही होती हैं।
दुनिया का हर इंसान सम्मान और सुरक्षा के मोर्चे पर अपने आंगन से सबसे ज्यादा उम्मीद रखता है। लाजिमी भी है, क्योंकि आशाओं को पोषण देने वाले अपनों का साथ अस्मिता की रक्षा, अपमान एवं उपेक्षा की आंच से बचाने के लिए ही तो होता है। दुखद है कि प्रगतिशील समाज वाले मुल्कों में जाकर बसने के बाद भी बहुत सी भारतीय महिलाओं को अपने ही घर में मनुष्यता का मान करने वाला माहौल नहीं मिलता। जबकि महिलाएं सात फेरों के साथ को निभाने और परिवार संभालने की हर संभव कोशिश करती हैं। विडंबना ही है कि महिलाओं के मन और मान को ठेस पहुंचाने वाला यह व्यवहार उनके अपने करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कई विकसित देशों में भी महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। साल 2021 में आए आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में तीन में से एक महिला घरेलू हिंसा का दंश झेलती है। यानी करीब 73 करोड़ महिलाएं प्रतिदिन अपने जीवनसाथी द्वारा की गई शारीरिक, भावनात्मक और यौन हिंसा का शिकार बनती हैं। अपनों के कुत्सित व्यवहार के इस मोर्चे पर हमारे यहां भी स्थितियां चिंतनीय ही हैं।
हाल में आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग एक-तिहाई महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा झेली है। हालात ऐसे हैं कि 11 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने तो घरेलू हिंसा के मामले में कभी किसी से मदद तक नहीं मांगी। ऐसे में दूर देश जा बसी महिलाओं की स्थिति आसानी से समझी जा सकती है।
(लेखिका सामाजिक मामलों की जानकार हैं)
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