इंदौर में पितरेश्वर हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा, भोज के लिए उमड़े लाखों लोग
भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पितृ पर्वत पर पितरेश्वर हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना कराई है।
इंदौर, राज्य ब्यूरो। इंदौर के बड़ा गणपति से पितृ पर्वत पर स्थापित बड़े हनुमान तक के सात किमी लंबे रास्ते का नजारा मंगलवार शाम देखते ही बन रहा था। सड़क के एक तरफ पंगत में हजारों लोग आलू-छोले की सब्जी, पूड़ी और नुक्ति का प्रसाद ले रहे थे, वहीं सेवा में सैकड़ों महिला-पुरुष और युवा भी जुटे हुए थे।
आयोजकों का दावा, दस लाख से ज्यादा लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया
आयोजकों का दावा है कि आयोजन में दस लाख से ज्यादा लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया है। भोजन प्रसादी परोसने के लिए ठेले, लोडिंग, ई-रिक्शा का इस्तेमाल किया जा रहा था। राह से गुजर रहे लोग भी अपनी गाड़ियां एक तरफ खड़ी कर नगर भोज में शामिल हो रहे थे।
कैलाश विजयवर्गीय ने कराई पितरेश्वर हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना
भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पितृ पर्वत पर पितरेश्वर हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना कराई है, जिसके प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर उक्त आयोजन हुआ था। मंगलवार शाम साढ़े पांच बजते ही सबसे पहले पितरेश्वर हनुमान को पितृ पर्वत पर भोग लगाया गया।
नगर भोज के लिए उमड़ा हुजूम
इसके बाद इस मार्ग के 10 स्थानों पर नगर भोज का श्रीगणेश हुआ। हंसदास मठ, अखंडधाम, व्यास बगीचा, विद्याधाम पर पहले एक से डेढ़ घंटे तक श्रद्धालुओं की संख्या कम नजर आ रही थी, मगर जैसे ही घड़ी के कांटे सात के पार गए लोगों का हुजूम उमड़ने लगा।
प्रसाद के लिए कई शहरों से लोग आए, कार्यकर्ताओं ने जूठी पत्तल उठाने में नहीं किया संकोच
भोजन प्रसादी ग्रहण करने के लिए इंदौर ही नहीं बल्कि उज्जैन, देवास, राऊ सहित आसपास के शहरों से भी लोग पहुंचे। कैलाश विजयवर्गीय का कहना था कि कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों के अलावा हजारों लोग स्वप्रेरणा से प्रसाद वितरण के कार्य में सहयोगी बने। उन्होंने जूठी पत्तल उठाने में भी संकोच नहीं किया।
पितरेश्वर धाम में महायज्ञ की पूर्णाहुति हुई
पितरेश्वर धाम में चल रहे अतिरुद्र महायज्ञ, सग्रहमुख और शतचंडी यज्ञ की पूर्णाहुति भी मंगलवार सुबह हुई। विद्याधाम के आचार्य महामंडलेश्वर चिन्मयानंद महाराज के मार्गदर्शन में यज्ञाचार्य पं. राजेश शर्मा ने गौ घृत, साकल्य, पंचमेवा, पंचामृत, और अन्य दिव्य सामग्रियों से अतिरद्र महायज्ञ, शत चंडी यज्ञ और सग्रहमख यज्ञ की पूर्णाहुति संपन्न करवाई। इस दिव्य महोत्सव में यज्ञ देवता को वैदिक मंत्रों के साथ 24 लाख आहूतियां समर्पित की गई। यज्ञशाला में 151 वैदिक विद्वानों ने यज्ञ संपन्न करवाया।