'साल 2024 में रोज 485 लोगों की सड़क हादसों में मौत, कुल आंकड़ा 1.77 लाख'; संसद में सरकार ने बताया
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, 2024 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1.77 लाख लोगों की मौत हुई, जो प्रतिदिन औसतन 485 मौतें हैं। यह आंकड़ा 2023 की तुल ...और पढ़ें

2024 में रोज 485 लोगों की सड़क हादसों में मौत (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सड़क परिवहन मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि साल 2024 में देश में सड़क हादसों में 1.77 लाख लोगों की मौत हुई। यह औसतन हर दिन 485 मौतें हैं। यह आंकड़ा 2023 की तुलना में 2.3% ज्यादा है, जब 1.73 लाख लोगों की जान गई थी।
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH), जो देश के कुल सड़क नेटवर्क का सिर्फ 2% हिस्सा हैं उन पर 54,443 मौतें (31%) दर्ज हुईं। यह पिछले चार साल में इनका सबसे कम हिस्सा है।
DMK सांसद ए. राजा के सवाल पर लिखित जवाब देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से मिले डेटा के अनुसार 2024 में 1,77,177 मौतें दर्ज की गईं। पश्चिम बंगाल का डेटा eDARपोर्टल से लिया गया है।
क्या कहती है 2021 और 2022 की रिपोर्ट?
सरकार ने कहा कि eDARसिस्टम से दुर्घटनाओं की रियल-टाइम जानकारी बेहतर तरीके से मिल रही है। हालांकि, मामूली सुधार की संभावना रहती है और वार्षिक रिपोर्ट में आंकड़े थोड़ा बढ़ भी सकते हैं।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाएं और मौतें घटने का ट्रेंड भी लोकसभा में साझा किया गया। NH पर हादसे 2022 के 1.52 लाख से घटकर 1.29 लाख हो गए, जबकि मौतें 2021 के 56007 से घटकर 54000 के करीब रह गईं।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर मौतों में बड़ी गिरावट दिखी है 2023 में 8446 मौतें थीं जो 2024 में घटकर 5524 रह गईं। अधिकारी इसे सकारात्मक संकेत मानते हैं, लेकिन कहते हैं कि NH और राज्य राजमार्गों पर अभी और काम की जरूरत है क्योंकि इन पर कुल मौतों का करीब 55% हिस्सा आता है।
राजस्थान के पूर्व DGP मनोज भट्ट ने कहा कि सड़कें, तकनीक और वाहन बेहतर हो रहे हैं, लेकिन सड़क उपयोगकर्ताओं की शिक्षा की कमी अब भी बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि जागरूकता, मोटिवेशन और सख्त प्रवर्तन जरूरी है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि सरकार को बड़े पैमाने पर जागरूकता के लिए ज्यादा नागरिक संगठनों और गैर-सरकारी समूहों को शामिल करना चाहिए।
इस बीच, सरकार IIT-कानपुर की मदद से AI आधारित मैपिंग शुरू कर रही है ताकि राष्ट्रीय राजमार्गों पर खतरनाक जगहों (ब्लैक स्पॉट्स) की वैज्ञानिक रूप से पहचान की जा सके। इससे यह पता चलेगा कि कौन-सी जगहों पर बार-बार हादसे क्यों होते हैं और वहां कौन-से सुधार किए जाएं।
क्या है नेगेटिव प्वाइंट्स सिस्टम?
मंत्रालय मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन की भी योजना बना रहा है, जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के नियम सख्त करने और खतरनाक ड्राइविंग पर नेगेटिव प्वाइंट्स सिस्टम शामिल हो सकता है। यह सिस्टम लाइसेंस निलंबन या रदीकरण तक ले जा सकता है।

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