Pending Court Cases : अदालतों में 35.6 लाख मुकदमे लंबित, फैसले के इंतजार में 62 लाख महिलाएं और बुजुर्ग
राज्यवार आंकड़े देखें तो महिलाओं के सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश में लंबित हैं। उत्तर प्रदेश में 773318 केस महिलाओं द्वारा दाखिल किये गए लंबित हैं इसमें 543275 क्रिमनल केस हैं और 230043 दीवानी मुकदमे हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज थाने के एक केस को सिर्फ नजीर के तौर पर देखिए.. 2007 में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म होता है। जांच के बाद 2012 में वह केस जिला अदालत पहुंचता है। 11 साल बाद आज वह केस कछुए से भी धीमी गति से चलता हुआ एविडेंस यानी सबूतों के पायदान तक पहुंचा है। रिकार्ड बताते हैं कि जिला अदालत में अगली सुनवाई 21 जून की लगी है।
आपराधिक मुकदमो की संख्या 6.5 लाख से ज्यादा
यह हालत तब है कि जब महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के केस की सुनवाई में प्राथमिकता देने की परंपरा रही है। इसके बावजूद वर्तमान में 62 लाख ऐसे मुकदमे हैं जो महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों द्वारा दाखिल किये गए हैं। न्याय की उम्मीद में अदालत पहुंची महिलाओं को देखें तो देश भर की अदालतों में 35.6 लाख मुकदमे ऐसे हैं जिनमें उन्हें फैसले का इंतजार है। इनमें से 18.4 लाख आपराधिक मुकदमे हैं और 17.1 लाख दीवानी केस हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के केस देखे जाएं तो 27.2 लाख से ज्यादा केस लंबित पड़े हैं। इनमें 20.7 लाख से ज्यादा मुकदमे दीवानी हैं। जाहिर है कि ये मामले जमीन जायदाद प्रापर्टी विवाद के ज्यादा होंगे। बुर्जुगों द्वारा दाखिल किये गए आपराधिक मुकदमो की संख्या 6.5 लाख से ज्यादा है।
ऐसा नहीं है कि केस सुनवाई पर नहीं लगते। अगर एक दिन अदालत में सुनवाई पर लगे मुकदमो की संख्या देखें तो पता चलता है कि एक जून 2023 को देश भर की निचली अदालतों में 725883 केस सुनवाई पर लगे थे। लेकिन फिर भी लंबित मामलों का बोझ बढ़ता जा रहा है क्योंकि रोजाना दर्ज होने वाले केसों की संख्या औसतन ज्यादा ही होते हैं।
दुष्कर्म, दहेज के मामलों की संख्या ज्यादा
महिलाओं और बुजुर्गों के मामले ऐसे होते हैं जिन्हें निपटाने के लिए कई बार प्रशासनिक स्तर पर अदालतों को निर्देश जारी किये जाते हैं। ऐसे मामलों के निपटान की रफ्तार की भी निगरानी होती है। लेकिन फिर भी मुकदमो की तुलना में जजों की कमी और अन्य दिक्कतों के चलते ऐसे मुकदमे भी ढेर में तब्दील होते जा रहे हैं। महिलाओं के मामले में ज्यादातर केस आपराधिक होते हैं, दुष्कर्म, दहेज जैसे मामलों की संख्या भी काफी होती है।
अगर राज्यवार आंकड़े देखें तो महिलाओं के सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश में लंबित हैं। उत्तर प्रदेश में 773318 केस महिलाओं द्वारा दाखिल किये गए लंबित हैं इसमें 543275 क्रिमनल केस हैं और 230043 दीवानी मुकदमे हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां महिलाओं के कुल 382622 केस लंबित हैं जिसमें 152846 क्रिमनल केस हैं और 229776 दीवानी मुकदमे हैं।
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट में एक बड़ा अंतर है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के द्वारा दाखिल क्रिमनल केस ज्यादा हैं जबकि महाराष्ट्र में दीवानी मुकदमे ज्यादा है। तीसरे नंबर पर बिहार आता है और बिहार में भी उत्तर प्रदेश जैसा ही हाल है। बिहार में महिलाओं के कुल 373692 केस लंबित हैं जिसमें क्रिमनल केस ज्यादा हैं।
क्रिमनल केस 277557 हैं जबकि दीवानी मामले एक लाख से कम कुल 96135 हैं। पश्चिम बंगाल में महिलाओं के केस 256043 हैं जिसमें आपराधिक मुकदमों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है। कर्नाटक में भी महिलाओं के केस 220158 हैं लेकिन यहां क्रिमिनल केस की तुलना में दीवानी मामले ज्यादा हैं।
इनके अलावा और जिन राज्यों में महिलाओं के केस एक लाख से ज्यादा या एक लाख के करीब हैं उनमें आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना हैं। दिल्ली में महिलाओं के कुल 85581 केस लंबित हैं जिसमें 55598 क्रिमनल और 29983 दीवानी मामले हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के भी सबसे ज्यादा मुकदमे उत्तर प्रदेश में लंबित हैं। उत्तर प्रदेश में ऐसे कुल 475315 केस लंबित हैं जिसमें 377722 दीवानी और 97593 क्रिमनल केस हैं। यहां भी दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां 387273 मामले लंबित हैं जिसमें तीन लाख से ज्यादा दीवानी केस हैं। क्रिमिनल मुकदमो की संख्या 79417 है।