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तमिलनाडु : आखिरकार शशिकला के वफादार पलानीसामी बने मुख्यमंत्री

पिछले नौ महीनों में वह राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने हैं। उन्हें 234 सदस्यीय विधानसभा में 15 दिनों के भीतर अपना बहुमत सिद्ध करना होगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Feb 2017 03:44 PM (IST)Updated: Thu, 16 Feb 2017 10:42 PM (IST)
तमिलनाडु : आखिरकार शशिकला के वफादार पलानीसामी बने मुख्यमंत्री
तमिलनाडु : आखिरकार शशिकला के वफादार पलानीसामी बने मुख्यमंत्री

चेन्नई (प्रेट्र) । तमिलनाडु में पिछले दस दिनों से चल रहा सत्ता संघर्ष गुरुवार को अन्नाद्रमुक प्रमुख शशिकला के वफादार इडाप्पाडी के. पलानीसामी के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही एक अंजाम पर पहुंचा। पिछले नौ महीनों में वह राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने हैं। उन्हें 234 सदस्यीय विधानसभा में 15 दिनों के भीतर अपना बहुमत सिद्ध करना होगा।

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उधर, शशिकला के खिलाफ बगावत करने वाले निवर्तमान मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेलवम ने कहा है कि जब तक अम्मा (जयललिता) राज बहाल नहीं हो जाता तब तक हमारा धर्म युद्ध जारी रहेगा।
राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने 63 वर्षीय पलानीसामी को गुरुवार शाम यहां राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उनके साथ 30 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी शपथ ली है। इनमें अधिकांश पुराने मंत्रिमंडल के सदस्यों को रखा गया है।
'एक परिवार के हाथों में न जाने दें पार्टी और सरकार'
पन्नीरसेलवम ने लोगों से अपील की है कि पार्टी और सरकार को फिर से एक परिवार के हाथों में जाने से बचाने के लिए एकजुट हों। शशिकला के खिलाफ बगावत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मैंने यह देखकर संघषर्ष किया कि अन्नाद्रमुक एक परिवार की संपत्ति नहीं बने।
चुनाव आयोग से शिकायत
इस बीच, पन्नीरसेल्वम गुट का 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को नई दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से मिला और शशिकला को अन्नाद्रमुक महासचिव चुने जाने की शिकायत कर उसे 'शून्य' घोषित करने की मांग की। उनके मुताबिक अन्नाद्रमुक महासचिव का चयन पार्टी कॉडर चुनाव के जरिए करते हैं जबकि शशिकला का निर्वाचन आम परिषद की बैठक में हुआ है।
पन्नीरसेल्वम ने अचानक की थी शशिकला के खिलाफ बगावत
उल्लेखनीय है कि 5 फरवरी को अन्नाद्रमुक विधायक दल ने पार्टी महासचिव शशिकला को अपना नेता चुन लिया था और ओ. पन्नीरसेलवम ने उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उनका रास्ता साफ भी कर दिया था। लेकिन अचानक ही 7 फरवरी को उन्होंने शशिकला के खिलाफ बगावत कर दी और फिर से मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी जताने लगे। इसके बावजूद शशिकला ने 9 फरवरी को सरकार बनाने का दावा किया। लेकिन राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया।

इस बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। कोर्ट के फैसले से शशिकला दस साल तक पद के लिए अयोग्य हो गई। इसी के बाद उन्होंने पलानीसामी को विधायक दल का नेता बनाया और पन्नीरसेलवम को पार्टी से बाहर कर दिया। पलानीसामी ने मंगलवार को ही सरकार बनाने का दावा पेश किया और बुधवार रात अपने समर्थक 124 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी। इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने को आमंत्रित किया।

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