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देश के 1765 सांसद-विधायक दागी, यूपी सबसे अागे; बिहार तीसरे नंबर पर

माननीयों के अपराधों में उत्तर प्रदेश अव्वल है जबकि तमिलनाडु दूसरे नंबर पर और बिहार तीसरे नंबर पर है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Sun, 11 Mar 2018 07:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Mar 2018 10:43 AM (IST)
देश के 1765 सांसद-विधायक दागी, यूपी सबसे अागे; बिहार तीसरे नंबर पर
देश के 1765 सांसद-विधायक दागी, यूपी सबसे अागे; बिहार तीसरे नंबर पर

माला दीक्षित, नई दिल्ली। माननीयों के अपराध का लेखाजोखा राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की उम्मीद को धराशायी करता दिखता है। देश भर में 1765 सांसदों और विधायकों के खिलाफ 3045 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। माननीयों के अपराधों में उत्तर प्रदेश अव्वल है जबकि तमिलनाडु दूसरे नंबर पर और बिहार तीसरे नंबर पर है। ये आंकड़े केन्द्र सरकार ने देश भर के उच्च न्यायालयों से एकत्र करके सुप्रीम कोर्ट में पेश किये हैं।

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केन्द्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर ये आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेश किये हैं। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा था कि वह 2014 में नामांकन भरते समय आपराधिक मुकदमा लंबित होने की घोषणा करने वाले 1581 विधायकों और सांसदों के मुकदमों की स्थिति बताए। सरकार बताये कि इन 1581 लोगों में से कितने के मुकदमें सुप्रीम कोर्ट के 10 मार्च 2014 के आदेश के मुताबिक एक वर्ष के भीतर निपटाए गए। इसके अलावा कितने मामलों मे सजा हुई और कितने मामले बरी हुए।

केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया ब्योरा

इतना ही नहीं सरकार से यह भी पूछा था कि 2014 से 2017 के बीच कितने वर्तमान और पूर्व विधायकों व सांसदों के खिलाफ नये आपराधिक मामले दर्ज हुए। उन मुकदमों के निपटारे का भी ब्योरा दो। कोर्ट ने ये निर्देश भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर दिये थे। इस याचिका में सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाने की मांग की गई है। मौजूदा कानून में सजा के बाद जेल से छूटने के छह वर्ष तक चुनाव लड़ने की अयोग्यता है। इसके बाद अयोग्यता खत्म हो जाती है और व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।

केन्द्र सरकार की ओर से गत शुक्रवार को दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश पर आंकड़ा एकत्र करने के लिए उसने राज्य सरकारों, उच्च न्यायालयों, राज्य विधानसभाओं व लोकसभा, राज्यसभा सचिवालय से इस सूचना मांगी थी। इसमें से 23 उच्च न्यायालयों, 7 विधानसभाओं और 11 राज्य व केन्द्र शासित प्रदेशों ने ब्योरा भेजा। केन्द्र ने बताया है कि लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय का कहना है कि उनके पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल, गोवा और मणिपुर विधानसभाओं ने भी इस बारे में सूचना न होने की बात कही है। बाम्बे हाईकोर्ट ने भी सूचना नहीं भेजी है इसलिए महाराष्ट्र के माननीयों के आपराधिक मुकदमों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। केन्द्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि इस बारे में उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी सबसे ज्यादा प्रमाणिक लगती है।

 उत्तर प्रदेश सबसे आगे दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे नंबर पर बिहार

केन्द्र सरकार की ओर से कोर्ट में कुल 28 राज्यों का ब्योरा दिया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश के सांसदों विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा मुकदमें लंबित हैं। उत्तर प्रदेश में 248 सांसदों विधायकों के खिलाफ कुल 539 मुकदमें लंबित हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु तीसरे पर बिहार, चौथे पर पश्चिम बंगाल और पांचवे पर आंध्रप्रदेश आता है। केरल लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या में इन चारो से काफी कम है लेकिन माननीयों के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की संख्या उत्तर प्रदेश और बिहार को टक्कर देती है।


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