भारत में केवल AC पर खर्च होती है इतनी बिजली, चौंका देगी रिपोर्ट; पढ़ें डिटेल
भारत में पिछले कुछ वर्षों में बिजली खपत में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि देश में लोगों के घरों में एयरकंडीशनर लगने के कारण बिजली खपत में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। रिपोर्ट में एक अनुमान जताते हुए कहा गया है कि भारत का बिजली बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। इसे आप बढ़ते तापमान का असर भी कह सकते हैं या मध्य वर्ग की क्रय शक्ति में हो रहे इजाफे का असर भी कह सकते हैं। कारण आप जो मानिए, लेकिन भारत में तेजी से घरों में एयरकंडीशनर लग रहे हैं और इन्हें चलाने में देश की कुल बिजली खपत का तकरीबन एक चौथाई हिस्सा जा रहा है। यह हिस्सा लगातार बढ़ते बढ़ते वर्ष 2030 तक एक तिहाई हो जाने की संभावना है।
यह बात इंटरनेशनल इनर्जी एसोसिएशन (आईईए) की तरफ से सोमवार को वैश्विक इलेक्ट्रिसिटी बाजार पर जारी रिपोर्ट में कही गई है। भारत का बिजली बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है।
भारत में बढ़ेगी बिजली खपत
- वर्ष 2025 से वर्ष 2027 के बीच भारत में बिजली की खपत में 6.3 फीसद की वृद्धि का अनुमान लगाते हुए यह भी कहा गया है कि आपूर्ति इस मांग को पूरा करने में पिछड़ सकती है। वर्ष 2030-32 तक भारत में पीक आवर में बिजली की मांग और आपूर्ति में 20-40 हजार मेगावाट की कमी रहने की संभावना जताई गई है।
- आईईए की रिपोर्ट में ऊर्जा क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसने कहा है कि भारत में वैसे तो अभी 20 फीसद से भी कम घरों में एयर कंडीशनर हैं लेकिन इन्होंने वर्ष 2024 में कुल पीक आवर में 60 हजार बिजली की खपत की है। यानी पिछले वर्ष के पीक आवर में अधिकतम डिमांड 2.50 लाख मेगावाट का 24 फीसद सिर्फ घरों, कार्यालयों आदि में गर्मी से बचने के लिए किया गया है।
- वर्ष 2024 के शुरुआत चार-पांच महीने औसत से काफी ज्यादा गर्म रहने की रिपोर्ट इस बात को सही साबित करते हैं। पिछले वर्ष भारत में 1.4 करोड़ एयर कंडीशनरों की बिक्री हुई है जो वर्ष 2023 के मुकाबले 27 फीसद ज्यादा है। इस आधार पर आइईए का आकलन है कि वर्ष 2030 तक भारत में कुल बिजली खपत का एक तिहाई (तकरीबन 1.40 लाख मेगावाट) एयर कंडीशनर लगाने में जाएगी।
क्यों बिजली खपत बढ़ने की उम्मीद?
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में औसतन तापमान में एक फीसदी की बढ़ोतरी से पीक आवर बिजली की मांग में सात हजार मेगावाट की वृद्धि होती है। वर्ष 2014 में बिजली की पीक आवर मांग 1.48 लाख मेगावाट थी जो अब 2.50 लाख मेगावाट को भी पार कर रही है।
इस वजह से भी बढ़ रही बिजली की मांग
बिजली की मांग में वृद्धि के लिए सिर्फ तापमान ही नहीं बल्कि तेजी से हो रहा औद्योगिकीकरण, कृषि में बिजली के इस्तेमाल के बढ़ने, ज्यादा लोगों को बिजली कनेक्शन से जोड़ने, आवासीय व वाणिज्यक केंद्रों में ज्यादा इस्तेमाल भी बड़े कारण हैं।
रिपोर्ट में केंद्र सरकार की तारीफ
रिपोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से वर्ष 2019 में लागू पीएम कूसुम नीति की तारीफ की गई है जिसकी वजह से किसान अब सिंचाई के लिए दिन में भी बिजली चालित पंप का इस्तेमाल करते हैं। पहले किसान सिर्फ रात्रि पहर में ही बिजली से सिंचाई करते थे क्योंकि उसी समय उन्हें मुफ्त बिजली मिलती थी।
पीएम-कूसुम नीति के तहत किसानों को सौर चालित पंप दिए गए हैं जिसका इस्तेमाल वह दिन में सिंचाई के लिए करते हैं। इससे बिजली की जो मांग शाम को बहुत ज्यादा बढ़ जाती थी, उसमें कमी हुई है।
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