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22 साल पहले लिए 200 रुपये का कर्ज भारत लौटाने आए केन्‍या के सांसद, पेश की ईमानदारी की मिसाल

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad) में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने ईमानदारी और मानवीय मूल्‍यों को एकबार फि‍र से जीवंत कर दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 11:58 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 04:21 PM (IST)
22 साल पहले लिए 200 रुपये का कर्ज भारत लौटाने आए केन्‍या के सांसद, पेश की ईमानदारी की मिसाल

औरंगाबाद, एजेंसी। महाराष्‍ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad) में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने ईमानदारी और मानवीय मूल्‍यों को एकबार फि‍र से जीवंत कर दिया। औरंगाबाद शहर के काशीनाथ मार्तंडराव गवली (Kashinath Gawli) उस वक्‍त हैरत में पड़ गए जब उनके सामने केन्‍या का एक सांसद खड़ा नजर आया। काशीनाथ को देखते ही उस सांसद की आंखें भर आईं। वहीं काशीनाथ का पूरा परिवार भी भावुक नजर आया।

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दरअसल, केन्या के सांसद और विदेश मामलों की समिति के उपाध्यक्ष रिचर्ड न्यागका टोंगी (Richard Nyagaka Tongi) 1985 से 1989 तक महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहकर मौलाना आजाद कॉलेज (Maulana Azad College) में पढ़े। उन्‍होंने वानखेड़ेनगर नगर (Wankhedenagar) में कॉलेज के सामने ही एक कमरा किराये पर ले रखा था। वहीं किराने की एक दुकान थी, जहां से टोंगी सामान खरीदते थे। एक बार उनके पास दुकानदार की 200 रुपए की उधारी हो गई थी।

बाद में टोंगी स्वदेश लौटे तो राजनीति में शामिल हो गए और न्यारीबरी चाचे निर्वाचन क्षेत्र (Nyaribari Chache constituency) से सांसद भी बने। हालांकि इस दौरान उन्‍हें 200 रुपए की उधारी न चुकाने की बात कचोटती रही। उन्‍होंने भारत आकर इस उधारी को चुकाने का फैसला लिया। टोंगी को भारत आने का मौका ही नहीं मिल रहा था। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए केन्या का शिष्टमंडल भारत आया था। संयोगवश टोंगी भी इस शिष्‍टमंडल में शामिल थे। दिल्ली का कार्यक्रम पूरा करने के बाद वह 22 साल पुराने कर्ज को लौटाने के मकसद से पत्नी मिशेल (Michelle) के साथ औरंगाबाद पहुंचे।

काफी देर तक‍ वह मकान किराना दुकानदार को ढूंढते रहे। काफी खोजबीन के बाद उनकी मुलाकात काशीनाथ से हो गई। जब गवली को टोंगी के आने की वजह का पता चला तो वह बेहद भावुक हो गए। टोंगी ने अपनी फेसबुक पोस्‍ट में लिखा कि मैंने 22 साल पहले 200 रुपए का कर्ज लिया था जिसे मैंने नहीं चुका पाया था। मैंने गवली को धन्‍यवाद दिया क्‍योंकि उन्‍होंने उस वक्‍त मेरी मदद की जब मैं संघर्ष कर रहा था। आज मुझे यह कर्ज चुकाकर सुकून मिला।  


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