Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    21 रिटायर्ड जजों ने CJI को लिखा पत्र, इन घटनाओं को लेकर जताई चिंता

    By Agency Edited By: Prateek Jain
    Updated: Mon, 15 Apr 2024 11:31 AM (IST)

    सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के 21 रिटायर्ड जजों के एक समूह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। इसमें उन्‍होंने कुछ गुटों द्वारा सोचे-समझे दबाव गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान के माध्यम से न्यायपालिका को कमजोर करने की बढ़ती कोशि‍शों का जिक्र किया है। उन्होंने पत्र के माध्‍यम से कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं।

    Hero Image
    21 रिटायर्ड जजों के एक समूह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। (फाइल फोटो)

    एएनआई, नई दिल्‍ली। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के 21 रिटायर्ड जजों के एक समूह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। इसमें उन्‍होंने कुछ गुटों द्वारा सोचे-समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान के माध्यम से न्यायपालिका को कमजोर करने की बढ़ती कोशि‍शों का जिक्र किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने पत्र के माध्‍यम से कहा,

    ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं और न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।

    हालांकि, रिटायर्ड जजों ने उन घटनाओं के बारे में नहीं बताया, जिनके कारण उन्हें सीजेआई को पत्र लिखना पड़ा।

    न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश माहेश्वरी और एम आर शाह सहित सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने आलोचकों पर अदालतों और न्यायाधीशों की ईमानदारी पर सवाल उठाकर न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के स्पष्ट प्रयासों के साथ कपटपूर्ण तरीके अपनाने का आरोप लगाया।

    इन समूहों द्वारा अपनाई गई रणनीति बेहद परेशान करने वाली है। उद्देश्यहीन सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार से लेकर प्रत्यक्ष और गुप्त कार्यों में संलिप्त होकर न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल करना, न्यायिक परिणामों को अपने पक्ष में प्रभावित करने का प्रयास इनमें शामिल है।

    हम देखते हैं कि यह व्यवहार विशेष रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक महत्व के मामलों और कारणों में स्पष्ट होता है, जिसमें कुछ व्यक्तियों से जुड़े मामले भी शामिल हैं, जिनमें न्यायिक स्वतंत्रता की हानि के लिए वकालत और पैंतरेबाजी के बीच की रेखाएं धुंधली हो जाती हैं।

    पत्र में रिटायर्ड जजों ने कहा कि वे विशेष रूप से गलत सूचना की रणनीति और न्यायपालिका के खिलाफ सार्वजनिक भावनाओं को भड़काने के बारे में चिंतित हैं।

    उन्होंने कहा,

    किसी के विचारों से मेल खाने वाले न्यायिक निर्णयों की चुनिंदा रूप से प्रशंसा करने और जो किसी के विचारों से मेल नहीं खाते, उनकी तीखी आलोचना करने की प्रथा न्यायिक समीक्षा और कानून के शासन के सार को कमजोर करती है।

    उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व वाली न्यायपालिका से ऐसे दबावों के खिलाफ मजबूत होने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कानूनी प्रणाली की पवित्रता और स्वायत्तता संरक्षित रहे।

    यह जरूरी है कि न्यायपालिका क्षणिक राजनीतिक हितों की चाहत से मुक्त होकर लोकतंत्र का एक स्तंभ बनी रहे।

    इन जजों ने लिखा सीजेआई को पत्र,

    comedy show banner
    comedy show banner