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    आज का इतिहास: 'आजाद हिंद फौज' ने सिंगापुर में भारत की बनाई थी सरकार, नेताजी सुभाष चंद्र बोस रहे संस्थापक

    By Pooja SinghEdited By:
    Updated: Thu, 21 Oct 2021 11:32 AM (IST)

    Today History साल 1943 में आज ही दिन यानी 21 अक्टूबर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज का गठन किया था। आज का दिन देश के इतिहास में बेहद ही खास है। इस दौरान बोस ने अहम भूमिका निभाई थी।

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    आज का इतिहास: 'आजाद हिंद फौज' ने सिंगापुर में भारत की बनाई थी सरकार

    नई दिल्ली, जेएनएन। 15 अगस्त , 2022 को आजादी के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे है। इसको ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से एक साल पहले यानी इस साल 15 अगस्त 2021 को इन कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है, जिसके तहत देश में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा। आज 21 अक्टूबर का दिन देश के इतिहास में बेहद ही खास है। साल 1943 में आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की सरकार गठन किया था। इसी सरकार को 'आजाद हिंद फौज' सरकार भी कहा जाता है।

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    राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री रहे थे बोस

    इस सरकार के पास अपनी फौज से लेकर तमाम तरह की व्यवस्थाएं थी। खास बात यह है कि सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी सुभाष चंद्र बोस ही रहे। इस सरकार को जापान, जर्मनी फिलीपींस समेत 9 अन्य देशों ने मान्यता भी प्रदान की थी। इस सरकार के गठन में महिलाओं ने अपने गहने तक डोनेट किए थे। अप्रैल 1994 तक 'आजाद हिंद बैंक' की भी स्थापना हो गई थी।

    बोस ने सिंगापुर से दिया था 'दिल्ली चलो का नारा'

    आजाद हिंद फौज का विचार आने से लेकर इसके गठन तक कई स्तरों पर कई लोगों के बीच बातचीत हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में रहने वाले रास बिहारी बोस ने इसकी अगुवाई की। जुलाई 1943 में सुभाष चंद्र बोस जर्मनी से जापान के नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुंचे। वहीं से उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया था।

    फौज को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करने में जापान ने बड़ी मदद की थी। जापान ने ही अंडमान और निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को सौंपे थे। सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान का नाम बदलकर शहीद द्वीप और निकोबार का स्वराज द्वीप रखा था। इम्फाल और कोहिमा के मोर्चे पर कई बार भारतीय ब्रिटिश सेना को आजाद हिंद फौज ने युद्ध में हराया था। नेताजी ने इस सरकार की स्थापना के साथ ही ब्रिटिशर्स को ये बताया था कि भारतवासी अपनी सरकार खुद चलाने में पूरी तरह सक्षम हैं। सरकार का अपना बैंक, अपनी मुद्रा, डाक टिकट, गुप्तचर विभाग और दूसरे देशों में दूतावास भी थे।