1984 के सिख दंगा पीड़ितों को 2021 से न्याय की उम्मीद, आगे की कार्यवाही के बारे में मांगी गई जानकारी
1984 Sikh Riots एनसीएम के अध्यक्ष लालपुरा ने कहा कि हमारा उद्देश्य पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करना है। मुआवजा देने में देरी आरोपियों के खिलाफ दर् ...और पढ़ें

नई दिल्ली, आइएएनएस। 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर राजनीति तो बहुत हुई लेकिन घटना के 37 साल बाद भी पीड़ित मुआवजे और न्याय के इंतजार में हैं। हालांकि, कई पीड़ितों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस साल अपने वादे पूरे करेगी। शायद इसीलिए दंगा पीड़ित एक बार फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से मुलाकात करेंगे और करीब 150 पीड़ितों की फाइलों को उन्हें सौंपेंगे जिन्हें अब तक कोई मकान नहीं मिला है। बता दें कि इससे पहले भी पीड़ितों ने आयोग में जाकर एक ज्ञापन सौंपा था। इस पर आयोग ने सात राज्यों को नोटिस भी जारी किया था।
दिल्ली के तिलक विहार निवासी पीड़ित सोनू सिंह बताते हैं कि जब दंगाइयों ने उनके पिता और दादाजी की हत्या की तब वो पांच साल के थे और त्रिलोकपुरी में रहते थे। घटना के बाद उन्हें तिलक विहार ले जाया गया और सरकार ने एक हजार रुपये लेकर घर आवंटित कर दिया। उन्होंने सरकार से मालिकाना हक की मांग की। वो कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने भी नौकरी, मुफ्त बिजली और मालिकाना हक देने के वादे किए थे लेकिन कोई लाभ नहीं मिला।
वहीं, एनसीएम के अध्यक्ष लालपुरा ने कहा कि हमारा उद्देश्य पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करना है। मुआवजा देने में देरी, आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले और आगे की कार्यवाही के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि पीड़ितों के दर्द की सरकार को परवाह है। एसआइटी गठित कर असल गुनहगारों को पहचान कर सजा देने की शुरुआत हो गई है और मुआवजे की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
दरअसल इस वर्ष अगस्त महीने में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि केंद्र सरकार ने 1984 के पीड़ितों को राहत देने के लिए एक पुनर्वास पैकेज की घोषणा की है जिसके तहत दंगों में मारे गए लोगों को साढ़े तीन लाख रुपये और घायल होने वालों को डेढ़ लाख रुपये दिए जाएंगे। इसी के साथ राज्य सरकार के लिए मृत्यु पीड़ितों की विधवाओं और वृद्ध माता-पिता को पूरे जीवन के लिए 2500 रुपये प्रति माह देने का प्रविधान भी है। इससे पहले 2014 में भी केंद्र सरकार ने दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों की राहत राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपये देने का वादा किया था।

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