1971 के युद्ध की बरसी, किसी को नहीं याद
आज से ठीक 43 वर्ष पूर्व भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध हुआ था। इस युद्ध के दौरान हमारे जवानों ने 93,000 कैदियों को पकड़ा था, लेकिन भारतीय सेना की उस शौर्य गाथा को आज कितने लोग याद कर पा रहे हैं?
नई दिल्ली। आज से ठीक 43 वर्ष पूर्व भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली जंग थी, जिसे भारतीय सेना ने जीता था। सबसे खास बात यह है कि आजादी के बाद यह पहला मौका था, जब भारतीय सेना ने किसी युद्ध की योजना बनाई, उसने कामयाबी से पूरा किया।
इस युद्ध के दौरान हमारे जवानों ने 93,000 कैदियों को पकड़ा था, लेकिन भारतीय सेना की उस शौर्य गाथा को आज कितने लोग याद कर पा रहे हैं?
एक अंग्रेजी वेबसाइट पर प्रकाशित लेख के अनुसार, पंजाबी में कहावत है कि जिन जीत नाही वेखी, उसे जीतना कौन सिखाएगा यानी जिसने जीत नहीं देखी है तो उसे जीतना कौन सीखा सकता है।
1971 की जीत को तवज्जों नहीं देने के लिए देश का राजनितिक बिरादरी की आलोचना की जाती है। यहां तक कि कांग्रेस ने कभी इसका जश्न नहीं मनाया, जबकि इसके पीछे उसकी पार्टी की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अहम भूमिका थी।
वहीं करगिल वॉर में हाल उल्टा था। हम दुश्मन की फिरतर को समझ नहीं पाए। जब वह पूरी तरह चढ़ाई करने की स्थिति में आ गया, तब हमारी सेना हरकत में आई थी। करगिल दिवस मनाया जाता है। वहीं 1971 के युद्ध के लिए विजय दिवस जरूर है, लेकिन आज उस पर कितने लोग बहस करते हैं?
एक अन्य खास बात यह है कि 1971 की जंग में जो पोस्ट हमने दुश्मन से हथियाई थीं, 1999 में हमने उन्हें फिर से खो दिया। आज जब सीमा पार से आतंकवाद का खतरा फिर बढ़ गया है। पाकिस्तान द्वारा सीजफायर उल्लंघन के मामले बढ़ गए हैं। ऐसे में सेना को उसी तेजी और मारक क्षमता के जज्बे के साथ रणनीति बनाना होगी, जो 1971 के युद्ध में दिखाई दी थी।
(साभार - नई दुनिया)
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