नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय फार्मास्यूटिकल फर्म मैरियन बायोटेक की कफ सीरप के सेवन से उज्बेकिस्तान में कथित रूप से 18 बच्चों की मौत के मामले की जांच केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने शुरू कर दी है। यही नहीं सीडीएससीओ इस संबंध में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय औषधि नियामक के नियमित संपर्क में है और घटना के संबंध में और जानकारी मांगी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि दवा कंपनी का निरीक्षण कर सैंपल लिए गए हैं और उन्हें जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि जांच प्रयोगशाला (RDTL) भेजा गया है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि एक रोज पूर्व उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि भारतीय फर्म द्वारा निर्मित कफ सीरप से उसके यहां 18 बच्चों की मौत हो गई है। विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों और उत्तर प्रदेश के औषधि विभाग के एक दल ने गुरुवार को नोएडा स्थित दवा कंपनी के कार्यालय का निरीक्षण किया।
उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मैरियन बायोटेक कंपनी भारत में खांसी की दवा डाक-1 मैक्स नहीं बेचती है और इसका निर्यात केवल उज्बेकिस्तान को किया गया है।
10 साल से उज्बेकिस्तान भेजी जा रही दवा
दवा फर्म के कानूनी सलाहकार हसन हारिस ने कहा कि इस प्रकरण पर हमें अफसोस है। सरकार मामले की जांच कर रही है। नमूनों की रिपोर्ट आने के बाद सब कुछ साफ होगा। फर्म की तरफ से दवा निर्माण में कोई कमी नहीं है। कंपनी पिछले दस वर्षों से उज्बेकिस्तान में दवा की आपूर्ति कर रही है। कभी भी इस तरह की शिकायत नहीं आई है। जांच के बाद ही सब कुछ साफ हो पाएगा।
ओवरडोज हो सकता है मौत का कारण
फर्म को केवल बाहर दवा आपूर्ति करने की अनुमति है। नोएडा के जिला औषधि निरीक्षक ने कहा कि उज्बेकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओवरडोज (अत्यधिक मात्रा में दवा का सेवन) और बिना प्रिस्क्रिप्शन (बिना डाक्टर की सलाह) दवा के सेवन से बच्चों की मौत की आशंका है।
प्राथमिक जांच दवा में नहीं मिली कोई अनियमितता
उज्बेकिस्तान भेजी गई कफ सिरप का निर्माण मई-2021 में हुआ था। इसकी एक्सपायरी अप्रैल-2024 है। सीरप की जून में आपूर्ति की गई थी। फार्मास्यूटिकल कंपनी ने कहा कि अक्टूबर 2022 से संबंधित कफ सीरप का उत्पादन नहीं हुआ है। जांच रिपोर्ट आने तक तक इस कफ सिरप के उत्पादन पर रोक लगाई गई है। मंगलवार के बाद बृहस्पतिवार को भी औषधि विभाग की टीम ने दवा फर्म पहुंचकर तीन अलग-अलग कफ सीरप के सैंपल लिए। अब तक पांच कफ सीरप के नमूने लिए जा चुके हैं। उज्बेकिस्तान के मंत्रालय के मुताबिक प्रयोगशाला में जांच के दौरान सीरप के एक बैच में रासायनिक एथिलीन ग्लाइकोल पाया गया, जोकि हानिकारक होता है।
Uzbekistan: 'भारतीय कफ सीरप से देश में हुई 18 बच्चों की मौत', गांबिया के बाद अब उज्बेकिस्तान का आरोप