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    48 लाख के इनामी नक्सलियों सहित 15 का समर्पण, माओवादियों ने की मुख्यधारा में वापसी

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 02:30 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 48 लाख रुपये के इनामी सहित 15 माओवादियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। इनमें हिड़मा के चार साथी भी शामिल हैं। समर्पण करने वालों में कई इनामी नक्सली भी शामिल हैं, जिन्हें प्रोत्साहन राशि दी गई। माओवादियों ने 2026 तक मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई है और सुरक्षा बलों से कार्रवाई रोकने का आग्रह किया है। पुलिस पत्र की जाँच कर रही है।

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    48 लाख के इनामी माओवादियों सहित 15 का समर्पण। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 48 लाख रुपए के इनामी सहित 15 माओवादियों ने सोमवार शाम आत्म समर्पण किया। इनमें हिड़मा के चार साथी भी शामिल हैं, जो कई आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं।

    जिला मुख्यालय स्थित माओवादी सेल कार्यालय में एसपी किरण चव्हाण और सीआरपीएफ अधिकारियों के समक्ष इन माओवादियों ने समर्पण किया। ये सभी कई वर्षों से माओवादी संगठन के लिए कार्यरत थे। समर्पण करने वाले माओवादियों के पास कोई हथियार नहीं था।

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    बताया गया है कि इन्होंने पहले संगठन में समर्पण की अनुमति मांगी और उसके बाद हथियार जमा कराए। इसके बाद पुलिस से संपर्क कर समर्पण किया। एसपी के अनुसार, सभी समर्पितों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।

    समर्पण करने वालों में कई इनामी नक्सली शामिल

    समर्पण करने वालों में आठ-आठ लाख के इनामी माड़वी सन्ना, सोड़ी हिड़मे, सुर्यम उर्फ रव्वा, मीना उर्फ माड़वी भीमे, पांच-पांच लाख के इनामी सुनिता उर्फ कुहराम, मड़कम पांडू पामेड़, तीन लाख के इनामी कुंजाम सिंगा गोलापल्ली, दो लाख के इनामी माड़वी सोमड़ी गोमपाड़ और एक लाख के इनामी चिलका उर्फ माड़वी पोज्जे शामिल हैं। अन्य समर्पितों में नुप्पो बुधरा, नुप्पो भीमा, मड़कम सुक्का, पोडि़यम जोगा, पोडि़यम लखमा, कोवासी हिड़मा भी शामिल हैं।

    इस बीच, माओवादियों के कथित प्रवक्ता अनंत के नाम से जारी एक पत्र में माओवादी समूह ने हथियार त्यागने और मुख्यधारा में लौटने के लिए 15 फरवरी, 2026 तक का समय मांगा है। उनका कहना है कि इस दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई रोक दी जाए, ताकि वे हिंसक गतिविधियां त्यागने के लिए सामूहिक निर्णय हेतु बैठक कर सकें। इस पत्र को लेकर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पत्र की सत्यता की जांच की जा रही है।