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    Vishwanath Karthikey: हैदराबाद के 13 वर्षीय कार्तिकेय के हौंसले के आगे नतमस्तक हुई 21 हजार फीट ऊंची पर्वत श्रृंखला, असफलताओं से सीखा सबक

    By Achyut KumarEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jul 2022 11:07 AM (IST)

    देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर यह कहावत हैदराबाद के 13 साल के विश्वनाथ कार्तिकेय पर सटीक बैठती है। कार्तिकेय ने लद्दाख क्षेत्र में मार्खा घाटी की 21 हजार फीट से अधिक ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं को अपने मजबूत इरादे से नतमस्तक होने पर मजबूर कर दिया।

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    कांग यात्से और डोजो जोंगो पर्वत श्रृंखलाओं पर फतह हासिल करने वाले विश्वनाथ कार्तिकेय (फोटो- एएनआइ)

    हैदराबाद, एजेंसी। वैश्विक स्तर पर नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए हैदराबाद के एक 13 वर्षीय लड़के ने लद्दाख क्षेत्र में मार्खा घाटी में स्थित कांग यात्से और डोजो जोंगो पर्वत श्रृंखलाओं पर चढ़ने में कामयाबी हासिल की है। हैदराबाद के एक स्कूल के नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र विश्वनाथ कार्तिकेय ने यह उपलब्धि हासिल की। कांग यात्से की ऊंचाई 6,496 मीटर यानी 21,312 फीट है। जबकि जो जोंगो की ऊंचाई 6240 मीटर यानी 20,472 फीट है।

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    9 जुलाई को शुरू की ट्रेकिंग

    विश्वनाथ कार्तिकेय ने एएनआइ को बताया,  'मैंने 9 जुलाई को कांग यात्से और जो जोंगो के लिए ट्रेकिंग शुरू की और 22 जुलाई को इसे समाप्त किया। बेस कैंप से शिखर तक की यात्रा, जब हम क्रैम्पन पाइंट पर पहुंचे, तो यह इतना आसान नहीं था। क्योंकि अधिक ऊंचाई पर हवा का दबाव कम हो जाता है। हालांकि, मैंने हार नहीं मानी। मुझे इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए की गई कड़ी मेहनत याद आई और अब यह सच हो गया है।'

    सांस लेने में हुई परेशानी

    कार्तिकेय ने कहा, 'समिट पुश के दौरान, मुझे हवा में नमी की कमी के कारण सांस लेने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। डोजो जोंगो में समिट पुश के दौरान, मेरा मुंह सूख गया और लंबे समय तक चलने से मुझे थकान और भूख लगी।' उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस ट्रेक से पहले, वह जीवन में कई असफलताओं से गुजरे। वह गंगोत्री के पास रुदुगैरा पर्वत और रूस में माउंट एल्ब्रस पर अपना ट्रेक पूरा नहीं कर सके थे।

    असफलताओं से हुआ सामना

    अपनी बहन से प्रेरित होकर, जो एक फिटनेस फ्रीक भी है और ट्रेकिंग का आनंद लेती है, कार्तिकेय ने भी ट्रेकिंग के लिए जाने के लिए रुचि विकसित की। उन्होंने बताया, 'मेरा पहला अभियान माउंट रुदुगैरा था, जहां मैं पहाड़ के आधार शिविर तक भी नहीं पहुंच सका। बाद में, मैं प्रशिक्षण के लिए 10 दिनों के लिए एनआईएम (नेहरू पर्वतारोहण संस्थान) गया और मैं वहां भी असफल रहा। फिर से, माउंट एल्ब्रस पर चढ़ने के लिए मुझे प्रशिक्षित किया गया। लेकिन मैं फिर असफल रहा।'

    कार्तिकेय ने आगे कहा, 'हालांकि, निरंतर अभ्यास और उचित फिटनेस प्रशिक्षण के साथ मैंने नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप (ईबीसी) और मनाली में फ्रेंडशिप पीक तक अपना ट्रेक पूरा किया।' उन्होंने अपने गुरु भरत और रोमिल को इस ट्रेक को पूरा करने में मदद करने और मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद दिया।

    कार्तिकेय ने कहा;

    • मेरे कोच साई तेजा, चैतन्य और प्रशांत ने मुझे ताकत और कार्डियो प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित किया।
    • मेरा आहार मेरी मां द्वारा तैयार किया गया था जो बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट था, जिसमें पर्याप्त वसा, कार्बोहाइड्रेट, सब्जियां और विटामिन शामिल थे।
    • अब मेरा वर्तमान लक्ष्य माउंट एवरेस्ट और 'सात शिखर' पर चढ़ना है।
    • मैं सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहता हूं।

    मां ने कहा- बेटे पर गर्व है

    कार्तिकेय की मां लक्ष्मी ने एएनआइ से कहा कि वे बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा, 'मैं सड़क पार करने से भी बहुत डरता थी। लेकिन जब मेरा बेटा इतनी ऊंचाई पर पहुंचा, तो मुझे उस पर गर्व महसूस हुआ और मेरे शब्द मेरी भावनाओं का वर्णन नहीं कर सकते। हम उसे सुबह 5 बजे जगाते थे और उसे जिम ले जाते थे।'

    मेरा भाई अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकता है- बहन

    कार्तिक की बहन वैष्णवी ने कहा, 'अब, मैं देख सकती हूं कि मेरा भाई अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम है। उसके प्रयास देखे जाते हैं। वह एक व्यक्ति के रूप में विकसित हुआ है और बहुत परिपक्व हुआ है।' कार्तिकेय के कोच भरत के अनुसार, वह कई बार असफल हुआ। लेकिन अब स्थिति बेहतर के लिए बदल गई है।