तीन कफ सीरप समेत 112 दवाओं के सैंपल फेल, CDSCO की जांच में नकली निकली कई दवाएं
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सितंबर में 112 दवाओं के सैंपल फेल होने की सूचना दी है, जिनमें तीन कफ सीरप शामिल हैं, जिनमें से एक नकली है। इन दवाओं में दिल, कैंसर और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा दवाएं हिमाचल प्रदेश में बनती हैं। मंत्रालय इन दवाओं को बाजार से हटाने की कार्रवाई कर रहा है।

CDSCO की जांच में 112 दवाओं के सैंपल फेल।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सितंबर के जारी ड्रग अलर्ट में तीन कफ सीरप सहित 112 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें एक कफ सीरप नकली है। दिल, कैंसर, मधुमेह, हाई बीपी, दमा, संक्रमण, दर्द, सूजन, अनीमिया और मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। केंद्रीय दवा प्रयोगशाला में 52 सैंपल फेल हुए। वहीं राज्य स्तर पर जांच में 60 दवाएं घटिया मिली हैं।
112 दवाओं के सैंपल फेल
अधिकारियों के अनुसार इन दवाओं को गुणवत्ता के एक या अधिक पैमानों पर विफल पाया गया है। यह गुणवत्ता विफलता केवल उसी बैच तक सीमित है जिसका परीक्षण किया गया है और इसका असर बाजार में उपलब्ध अन्य दवाओं पर नहीं माना जाना चाहिए। जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उनमें सबसे ज्यादा 49 दवाएं हिमाचल में बनती हैं। गुजरात की 16, उत्तराखंड की 12, पंजाब की 11, मध्य प्रदेश में छह, सिक्किम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की तीन-तीन, कर्नाटक, महाराष्ट्र की दो-दो सहित बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की एक-एक दवा का सैंपल फेल मिला है। दो कफ सीरप हरिद्वार और हिमाचल के सिरमौर में बने हैं।
तीन कफ सीरप भी शामिल
एक कफ सीरप बेस्टो-कफ ड्राई कफ फार्मूला, जिसे सूखी खांसी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उनकी भी जांच की जा रही है। नकली दवा का मामलासितंबर में छत्तीसगढ़ से एक दवा नमूना नकली पाया गया। यह दवा एक अनधिकृत निर्माता द्वारा एक अन्य कंपनी के ब्रांड नाम का दुरुपयोग करते हुए बनाई गई थी। इस मामले की जांच जारी है और कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह प्रक्रिया राज्य नियामक अधिकारियों के सहयोग से नियमित रूप से की जाती है ताकि मानक से कम या नकली दवाओं को समय पर बाजार से हटाया जा सके और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह कदम दवा गुणवत्ता मानकों को सख्ती से लागू करने और स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने के सरकार के निरंतर प्रयास का हिस्सा है।
अगस्त में 94 दवाएं मिली थीं घटिया
अगस्त 2025 में भी सीडीएससीओ ने कुल 94 दवाओं को एनएसक्यू घोषित किया था। आइएएनएस के मुताबिक, तब केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने 32 और राज्य प्रयोगशालाओं ने 62 दवाओं के नमूनों को गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं पाया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राज्य नियामकों के सहयोग से इन दवाओं को बाजार से हटाने की कार्रवाई की जा रही है ताकि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हिमाचल के राज्य दवा नियंत्रक डा. मनीष कपूर के अनुसार अधिकतर दवाओं में छिटपुट कमियां पाई जाती हैं, जिन्हें तुरंत ठीक करवाया जाता है। कुछ दवाओं में बड़ी खामी भी है, जिन्हें बनाने वाले उद्योगों को कारण बताओ नोटिस जारी होंगे। सभी दवाओं का स्टाक वापस मंगवाया जाएगा।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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