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    उत्तर प्रदेश अब ‘बीमारू’ नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत' का आधार, रोजगार के आंकड़ों ने द‍िखायी झलक

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 06:11 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश, जो पहले 'बीमारू' राज्य कहलाता था, अब 'विकसित भारत' का आधार बन रहा है। रोजगार के बेहतर आंकड़ों ने यह साबित कर दिया है। राज्य में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है, जो आर्थिक विकास का संकेत है। निवेश बढ़ने से नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं, जिससे रोजगार सृजन हो रहा है। सरकार राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास पर ध्यान दे रही है।

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    सरकार ने बेरोजगारी के खिलाफ एक ठोस अभियान शुरू किया।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। वर्ष 2017 के बाद से एक ओर जहां सरकारी नौकरियों का द्वार खोला गया, वहीं दूसरी ओर निजी क्षेत्र में भी लाखों युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय द्वारा आयोजित रोजगार मेलों के माध्यम से 97,339 युवाओं को नौकरी मिली है। 282 रोजगार मेलों में 3,970 राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया है।

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    कानून व्यवस्था, कारोबार के अनुकूल माहौल और बेहतर कनेक्टिविटी ने उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल स्थिति बनाई है। जापान, स्लोवाकिया, दुबई समेत कई देशों में राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां युवाओं को नौकरी दे रही हैं। विदेशों में अधिकतम 18,00,000 रुपये और देश में अधिकतम 6,60,000 रुपये के पैकेज का ऑफर भी मिल चुका है।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद से बेरोजगारी के खिलाफ एक ठोस अभियान शुरू किया। योगी सरकार ने रोजगार के अवसरों को युवाओं तक पहुंचाने के लिए अनेक रोजगार मेलों का आयोजन किया। अब युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार घर के करीब ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। 2017 में सत्ता संभालने के बाद से योगी सरकार ने न केवल सरकारी नौकरियों का द्वार खोला, बल्कि निजी क्षेत्र में भी लाखों युवाओं को रोजगार से जोड़ा है।

    वित्तीय वर्ष 2017-18 से अब तक वाराणसी क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय द्वारा आयोजित रोजगार मेलों के माध्यम से 97,339 युवाओं को नौकरी मिली है। इन मेलों में 3,970 कंपनियों ने भाग लिया। पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में यह डबल इंजन सरकार का प्रयास न केवल प्रदेश की आर्थिक प्रगति को दर्शाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश को युवा सशक्तिकरण का केंद्र बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

    निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की बौछार हो रही है। युवाओं को अब प्राइवेट प्लेसमेंट सेल का चक्कर नहीं काटना पड़ रहा है। योगी सरकार का रोजगार संगम पोर्टल नौकरियों की बरसात कर रहा है। वाराणसी मंडल के सहायक निदेशक (सेवायोजन) मुकेश कुमार ने बताया कि निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार लगातार रोजगार महाकुंभ मेले का आयोजन कर रही है।

    अप्रैल 2017 से अब तक वाराणसी में 282 रोजगार मेलों का आयोजन हुआ है, जिसमें 3,970 कंपनियों ने हिस्सा लिया। केवल इन मेलों के जरिए ही 97,339 युवाओं को नौकरी मिल चुकी है। जापान, स्लोवाकिया, दुबई समेत कई देशों में राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने युवाओं को उनके टैलेंट के अनुसार नौकरी दी है।

    कारोबार का माहौल, बेहतर कनेक्टिविटी और कानून व्यवस्था ने उत्तर प्रदेश में निवेश का माहौल बनाया है। रोजगार मेलों और योजनाओं ने उत्तर प्रदेश के औद्योगिक माहौल को और अधिक सक्रिय बनाया है। वाराणसी क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के रोजगार मेला प्रभारी दीप सिंह ने बताया कि स्थानीय स्तर पर नौकरी मिलने से युवाओं के पलायन में कमी आ रही है।

    ‘सेवायोजन पोर्टल’ जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने भी युवाओं और नियोक्ताओं के बीच की दूरी को कम किया है। उत्तर प्रदेश अब ‘बीमारू’ नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत' का आधार बन रहा है। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के आंकड़े (वित्तीय वर्ष 2017-18 से सितंबर 2025 तक) इस बात का प्रमाण हैं कि रोजगार मेलों ने युवाओं के लिए कितने अवसर पैदा किए हैं।

    रोजगार मेला- 282
    कंपनी- 3,970
    शामिल प्रतिभागी- 460,212
    चयनित अभ्यर्थी - 97,339