प्रकृति के बीच मानसून में भी वनराज के दर्शन करना हैं तो बांधवगढ़ आइए
बांधवगढ़ जंगल के मध्य पहाड़ पर स्थित एक किले का नाम है। यह स्थान विंध्य शासकों की शिकारगाह हुआ करता था। इतिहास में वर्णित है कि भगवान श्री राम वनवास के दौरान इस स्थान से होकर गुजरे थे और यहां स्थित किले को उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को उपहार में दिया था। इसलिए इस किले नाम बांधवगढ़ पड़ा।

संजय कुमार शर्मा, उमरिया। प्रकृति के खूबसूरत और अनदेखे नजारों के बीच वनराज के दर्शन करना हैं तो मध्य प्रदेश के उमरिया स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व आइए। यहां के बफर जोन में सफर के साथ नाइट सफारी और सुविधायुक्त काटेज आपके सफर को दोगुना आनंदित करने में सक्षम हैं। यहां एक ओर कल कल बहती नदी का किनारा है तो पैदल और साइकिल सफारी की सुविधा भी है।
यूं तो प्रति वर्ष वर्षा ऋतु में यहां सफारी जारी रहती है पर यह पहली बार होगा जब रिजर्व के बफर जोन के अंतर्गत चेचपुर में जोहिला नदी के किनारे होने वाली सफारी का रोमांच भी मिलेगा। यकीन मानिए इस सुविधा से आनंद यादगार अनुभव में बदल जाएगा। अमरकंटक से निकलकर उमरिया जिले के बांधवगढ़ के जंगल के अंदर से गुजरने वाली जोहिला नदी के किनारे तक भी पर्यटक पहुंच पाएंगे और नदी के झरने का आनंद ले पाएंगे।
जोहिला फाल है आकर्षण का केंद्र: जोहिला फाल के नाम से मशहूर यह स्थान हमेशा से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया के अंतर्गत ईको टूरिज्म बोर्ड द्वारा अधिसूचित चार पर्यटन क्षेत्रों में से एक पर्यटन स्थल जोहिला चेचपुर फाल का शुभारंभ इसी साल जनवरी से किया गया है। वर्षाकाल में उपरोक्त पर्यटन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों के विचरण जैसे मनोरम दृश्य के साथ ही जोहिला नदी के सुंदर झरने का लुत्फ उठाना पर्यटकों के लिए रोमांचकारी होगा। वर्षाकाल में जंगल के अंदर कैंपिंग, प्रकृति पथ, ट्रैकिंग पथ, पक्षी दर्शन, वन्यप्राणी सफारी, साइकिलिंग, फोटोग्राफी, पिकनिक, पर्यटकों के लिए उत्साहित करने वाला काम होगा।
थोड़ा सा शुल्क कई गुना आनंद : वर्षाकाल के दौरान जोहिला फाल में पर्यटन गतिविधि का लुत्फ उठाने के लिए मप्र शासन वन विभाग, ईको पर्यटन बोर्ड व वरिष्ठ अधिकारियों के मागदर्शन में स्थानीय ईको विकास समितियों द्वारा शुल्क निर्धारित किया गया है। पैदल और साइकिल से चलने पर दस रुपये, दो पहिया वाहन के लिए 25 रुपये, हल्के मोटरयान जीप, कार, जिप्सी अधिकतम छह व्यक्तियों के लिए प्रति व्यक्ति सौ रुपये, मिनी बस के लिए 250 व सामान्य बस के लिए 500 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। जोहिला फाल पर्यटन क्षेत्र में घूमने के लिए कुछ सामान्य शर्तों का पालन करना होगा। यह सुरक्षा के लिए जरूरी किया गया है। फाल घने जंगल के बीच में है, जहां वन्य प्राणियों का विचरण होता रहता है। सुरक्षा के लिए ही दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसकी जानकारी सूचना संकेतक बोर्ड माध्यम से पर्यटकों को दी जा रही है।
ऐसे पहुंचें ताला बफर जोन
ताला बफर जोन आने के लिए सबसे पहले आपको मध्य प्रदेश के जबलपुर आना पड़ेगा, जिसके लिए हवाई और रेल मार्ग सुगम है। यहां से सड़क मार्ग से 200 किमी दूर उमरिया है। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर मानपुर में ताला बफर जोन है, जहां के चेचपुर में बस और प्राइवेट वाहनों से पहुंचा जा सकता है।
अजेय किला है बांधवगढ़
बांधवगढ़ जंगल के मध्य पहाड़ पर स्थित एक किले का नाम है। यह स्थान विंध्य शासकों की शिकारगाह हुआ करता था। इतिहास में वर्णित है कि भगवान श्री राम वनवास के दौरान इस स्थान से होकर गुजरे थे और यहां स्थित किले को उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को उपहार में दिया था। इसलिए इस किले नाम बांधवगढ़ पड़ा। 2022 में हुई गणना के अनुसार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 165 बाघ हैं। जबकि वर्तमान में बाघों की संख्या लगभग 200 के करीब हो चुकी है। बांधवगढ़ के आसपास 10वीं, 11वीं शताब्दी का कलचुरी कालीन मां विरासनी देवी का मंदिर, सोन और जोहिला नदी के संगम स्थल पर दशरथ घाट है, जहां वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का दसवां पिंडदान किया था।
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