Year Ender 2020: कोरोना ने शिक्षा व्यवस्था, परीक्षा और नौकरियों पर डाला असर, इतिहास में याद रखा जाएगा वर्ष 2020
Year Ender 2020 कोरोना के कारण स्कूली छात्रों से लेकर नौकरीपेशा लोगों तक के जीवन प्रभावित हुए हैं। महामारी की दस्तक के साथ ही देश भर में वर्क कल्चर पू ...और पढ़ें

Year Ender 2020: कोरोना वायरस महामारी के दौर से गुजरे वर्ष 2020 का अब समापन होने वाला है। लेकिन, यह एक ऐसा वर्ष है जो हमेशा ही पूरी दुनिया को याद रहने वाला है। इस वर्ष की कई ऐसी यादें हैं, जो आसानी से भुलाई नहीं जा सकेंगी। लगभग पूरा वर्ष कोविड-19 और उससे जुड़ी चुनौतियों का रहा और अब भी इसका सामना करना पड़ रहा है। देश में 2020 की शुरुआत में ही इस जानलेवा महामारी ने अपने पांव फैलाने शुरू किए। कोविड-19 के कहर के लिए वर्ष 2020 की यादें आसानी से धुंधली नहीं हो सकतीं। इस महामारी ने देश भर में एजुकेशन सिस्टम, परीक्षाओं और नौकरियों पर बुरा असर डाला है।
कोरोना के कारण स्कूली छात्रों से लेकर नौकरीपेशा लोगों तक के जीवन प्रभावित हुए हैं। महामारी की दस्तक के साथ ही देश भर में वर्क कल्चर पूरी तरह से चेंज हो गया। वहीं, छात्रों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन एजुकेशन शुरू किया गया। स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज तक के स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गईं। इतना ही नहीं, परीक्षाओं का भी आयोजन ऑनलाइन किया जाने लगा।
एजुकेशन पर पड़ा असर
कोरोना वायरस महामारी के कारण मार्च, 2020 में जब देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया तो इस वजह से सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद कर दिए गए। स्टूडेंट्स सहित अभिभावकों के मन में यही चिंता थी कि उनकी पढ़ाई कैसे होगी? स्कूल, कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थानों के बंद होने के कारण छात्रों को पढ़ाई का काफी नुकसान उठाना पड़ा। ऐसे में सरकार द्वारा छात्रों को ऑनलाइन एजुकेशन देने का निर्णय लिया गया।
सभी स्कूल और कॉलेजों ने स्टूडेंट्स को ऑनलाइन एजुकेशन देना शुरू किया। लेकिन, शहरों से दूर गांवों व वंचित तबकों के छात्रों के पास स्मार्टफोन न होने व खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी की वजह से काफी उन्हें काफी हानि हुई। इस समस्या के मद्देनजर कई राज्य सरकारों ने दूरदर्शन, रेडियो के माध्यम से भी एजुकेशन देने का प्रयास किया। स्टूडेंट्स के लिए यूट्यूब पर भी वीडियो अपलोड करके उन्हें पढ़ाया गया और अभी तक ये कोशिश जारी है।
परीक्षाओं पर महामारी का कहर
महामारी के काल में जब सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गए तो इस स्थिति में परीक्षाओं का आयोजन करना एक बड़ी चुनौती बन गई। महामारी की वजह से सीबीएसई, सीआईएससीई से लेकर कई राज्य बोर्डों की परीक्षाओं को बीच में ही स्थगित करना पड़ा। आगे चलकर सीबीएसई और सीआईएससीई समेत देश भर के कई बड़े बोर्ड ने बिना परीक्षा ही वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति के आधार पर 10वीं और 12वीं परीक्षाओं के परिणाम जारी किए। इसके अलावे, देश की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षाएं नीट और जेईई मेन पर भी महामारी का कहर दिखा। महामारी के दौर में जेईई और नीट परीक्षा के आयोजन को लेकर काफी विरोध हुए। छात्रों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी परीक्षा को स्थगित करने की मांग की और विरोध प्रदर्शन किए। महामारी से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नीट और जेईई परीक्षाओं को कई बार स्थगित किया गया। हालांकि, नुकसान को देखते हुए 1 से 6 सितंबर के बीच जेईई परीक्षा और 13 सितंबर को नीट की परीक्षा आयोजित कराई गई। वहीं, दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित कई यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित कीं।
करोड़ों लोगों की नौकरियां गईं
कोरोना वायरस महामारी ने नौकरीपेशा लोगों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। कोरोना के कारण दुनियाभर के करोड़ों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) के अनुसार, जुलाई माह में देश में लगभग 50 लाख लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, जिसके कारण नौकरी गंवाने वालों की संख्या 1.89 करोड़ तक पहुंच गई थी। सबसे अधिक टूरिज्म, ट्रेवल, हॉस्पिटैलिटी, ऑटोमोबाइल, एविएशन, ट्रांसपोर्ट, रिटेल, आईटी और स्टार्टअप्स सेक्टर में असर देखने को मिला। हालांकि, जून में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही नौकरियों में कुछ रिकवरी दिखने लगी थी, लेकिन लोकल स्तर पर लगने वाले छोटे-छोटे लॉकडाउन के कारण जुलाई में नौकरियों में फिर से गिरावट देखी गई। वहीं, इस वर्ष महामारी के कारण वर्क कल्चर में एक बड़ा बदलाव किया गया। देश सहित विदेश की अधिकतर कंपनियों ने अपने एम्लोईज को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी।

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