Indian Railway: बड़ी रेल दुर्घटनाओं से बचाती है लाल रंग की पटरी, जानिए रेलवे उपकरणों से जुड़ी कुछ रोचक बातें
Indian Railways भारतीय रेलवे के सुरक्षित संचालन के लिए कई तरह के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्हीं में से एक रेलवे पटरियों के साइड में लगी लाल रंग की पटरियां। दरअसल यह रेलवे की बड़ी दुर्घटनाओं से बचाने के लिए लगाई जाती हैं।

नई दिल्ली, जागरण डेस्क। भारतीय रेलवे को एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है। इसके सफल और सुरक्षित संचालन के लिए भारतीय रेलवे की ओर से कई तरह के उपकरणों और संकेतकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पटरियां, सिग्नल आदि बहुत ही अलग होती है, जिसे आम लोग नजरअंदाज कर देते हैं, उन्हें लगता है कि शायद कोई खराब उपकरण होगा, लेकिन उन सभी का अपना एक मतलब होता है।
रेलवे पटरियों के बगल में लगाई जाती हैं लाल पटरियां
जब आपने रेल में सफर किया होगा, तो देखा होगा कि पटरियों की साइड में एक लाल रंग का उपकरण निकला होता है। हालांकि, यह इतना बड़ा नहीं होता है कि सबकी नजर पड़े, लेकिन अक्सर ट्रेन रास्ते में रूकती है, तो वो उपकरण दिखता है। यह अक्सर कुछ किलोमीटर के दायरे में जमीन में लगाई जाती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आखिर इसे लगाने के पीछे की वजह क्या है और यह क्या संकेत देता है।
लोगों को संकेत देने के लिए किया जाता है लाल रंग
भारतीय रेलवे में कुछ स्टेशनों के आसपास पटरियों के किनारे एक लाल रंग की पटरी का गाड़ी जाती है। इसे एक फुट तक ऊपर निकालकर छोड़ दिया जाता है। दरअसल, इसे लाल रंग से इसलिए रंगा जाता है, ताकि लोगों की नजर इसपर पड़े और वो घायल न हो।
क्यों बाहर निकाली जाती है ये पटरी
दरअसल, कई बार रेल अधिक स्पीड से आगे बढ़ रही होती है और उसी बीच पटरी से उतर जाती है। उसकी तेज रफ्तार के कारण वो घसीटकर दूर तक जा सकती है, जिससे जान-माल का काफी नुकसान हो सकता है। वहीं, यदि कोई रेल घसिटती हुई इस पटरी के पास आती है, तो वो उसी में फंस कर रुक जाती है। इससे दुर्घटना के दौरान भी अधिक जान-माल की क्षति नहीं होती है।
पटरी के नजदीक क्यों होती है यह जाली
आपने अक्सर देखा होगा कि रेल की पटरियों के पास एक जाली बनी होती है। दरअसल, ये भी लोको पायलट के लिए एक तरह का सिग्नल होता है। रेलवे में इस जाली का प्रयोग Train Protection Warning System(TPWS) के लिए किया जाता है।
जब भी ट्रेन स्टेशन में प्रवेश करती है तो इसकी गति पहले से निर्धारित होती है, लेकिन अगर ट्रेन की गति निर्धारित की गई गति से ज्यादा होती है तो, ये जाली लोको पायलट को सिग्नल दे देता है। इसके बाद लोको पायलट आवश्यकता के अनुसार अपने रेल की गति को नियंत्रित कर लेता है।
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