Indian Railways: भारतीय रेलवे में क्या होता है Calling On Signal सिस्टम, जानें इसका महत्व और कार्य
Indian Railways रेलगाड़ी के सफल संचालन के लिए प्लेटफॉर्म के दोनों तरफ स्थित कॉलिंग ऑन सिग्नल बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सिग्नल के जरिये लोको पायलट को ट्रेन को रोकने और वापस चलाने के संकेत दिए जाते हैं।
Indian Railways: रेलगाड़ियों के सफल संचालन के लिए रेलवे की ओर से बहुत से सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं में से एक सिग्नल को कॉलिंग ऑन सिग्नल के नाम से जाना जाता है। इस सिग्नल को रेलगाड़ी के संचालन के लिए बहुत अहम माना जाता है। कॉलिंग ऑन सिग्नल किसी प्लेटफॉर्म के शुरुआत में और लास्ट में स्थित होते हैं। कोई भी ट्रेन तभी प्लेटफॉर्म में एंटर कर सकती है जब उसे Calling On Signal दिया जाता है। इसका इस्तेमाल ट्रेन के लोको पायलट द्वारा किया जाता है। इस सिग्नल के मिलने से लोको पायलट यह समझ पाता है की आगे ट्रेन प्रस्थान कराने के लिए लाइन क्लियर है या नहीं।
Indian Railways: कैसे करें Calling On Signal की पहचान
आपको बता दें कि कॉलिंग ऑन सिग्नल प्लेटफॉर्म के दोनों तरफ लगे होते हैं। इसके साथ रेलवे की ओर से और भी बहुत सारे सिग्नल और लगे होते हैं जिससे आपको पहचानने में भ्रम की स्थिति होती होगी। तो हम आपको एक ऐसी ट्रिक बता रहें हैं जिससे आप आसानी से कॉलिंग ऑन सिग्नल की पहचान कर सकते हैं। आपको बता दें कि कालिंग ऑन सिग्नल में एक खम्भे पर एलईडी लाइट्स लगी होती हैं और उन्हीं लाइट्स के नीचे एक सफेद पट्टी पर काले रंग में C लिख दिया जाता है। ऐसे में जब भी प्लेटफॉर्म के शुरआत या अंत में किसी भी खम्भे पर C लिखा हुआ दिखाई दे समझ जाइये की वो Calling On Signal के लिए स्थापित किया गया है।
Indian Railways: कैसे करता है काम
प्लेटफॉर्म में घुसने से पहले अगर कॉलिंग ऑन सिग्नल में हल्की पीली लाइट जलती दिखाई देती है तो इसका मतलब है कि लोको पायलट धीमी गति से ट्रेन आगे की ओर बढ़ा सकता है। अगर इस लाइट को बंद कर दिया जाता है तो लोको पायलट को ट्रेन रोकनी होती है और उसे आगे बढ़ाने के लिए सिग्नल का इंतजार करना पड़ता है।
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