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    दृष्टिबाधिता को नहीं बनने दिया कमजोरी, ICSE Result 2025 में लखनऊ की बानी को मिले 95.40 प्रतिशत अंक, बनीं प्रेरणा

    Updated: Thu, 01 May 2025 05:41 PM (IST)

    जन्म के छह माह बाद से ही दृष्टिबाधित बानी के साथ ही उनके माता व पिता के सामने पुत्री के सामने जीवन पहाड़ सी चुनौती है लेकिन तीनों ने इसको सहर्ष स्वीकार किया। इसी का परिणाम है कि बानी ने 95.4 प्रतिशत अंक हासिल करके परिवार और स्कूल का नाम रोशन किया। उसका सपना आईएएस अधिकारी बनने का है।

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    लखनऊ में अपने आवास पर पिता विशाल और मां श्वेता के साथ बानी चावला

    जागरण संवाददाता, लखनऊ : ‘यथा नाम तथा काम’ लोकोक्ति को सही साबित कर रही हैं लखनऊ की दृष्टिबाधित छात्रा बानी चावला। बानी का अर्थ होता है किसी भी काम को प्रतिज्ञा के रूप में लेना और बानी चावला ने भी शिक्षा और गीत-संगीत को प्रतिज्ञा के रूप में लिया है। ‘जैसा नाम है, वैसा ही काम’ की तर्ज पर बानी अपनी प्रतिभा को निखार रही है।

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    लखनऊ पब्लिक कॉलेज सहारा स्टेट शाखा की छात्रा बानी चावला ने 30 अप्रैल को घोषित आईसीएसई (हाई स्कूल) के परीक्षा परिणाम में 95.4 प्रतिशत अंक हासिल करके परिवार और स्कूल का नाम रोशन किया है। बानी ने अपनी प्रतिज्ञा में दृष्टिबाधिता को कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने मजबूत इच्छाशक्ति से बड़ी चुनौती भी साधारण बना दिया।

    दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी लक्ष्य हासिल करने के साथ दूसरों के समक्ष उदाहरण भी प्रस्तुत किया। उनकी यह सफलता विद्यालय में टॉप करने वाले से कहीं अधिक बड़ी और दूसरों के लिए नई प्रेरणा भी है।

    • बानी जन्म के छह माह बाद से दृष्टिबाधित हैं। वह नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड संस्था से जुड़ी है, जिसने उसकी बहुत मदद की।
    • उसका सपना आईएएस अधिकारी बनने का है। इसके लिए वह अभी से तैयारी कर रही है।
    • बानी एक अच्छी गायिका भी हैं। वह प्रयागराज से इसका कोर्स भी कर रही हैं।

    दृष्टिबाधित बानी चावला ने हाईस्कूल की परीक्षा के लिए जोरदार तैयारी की। कहीं भी कमजोर नहीं पड़ीं और यूट्यूब से विषयों के लेक्चर सुनकर उन्हें याद किया जो परीक्षा में बहुत काम आए। बानी ने जो भी पढ़ा और सुना उसे तुरंत याद कर लिया। परीक्षा में एक राइटर उपलब्ध कराया गया था। वह सवालों के जवाब बताती थी राइटर कॉपी में लिखता था। पिता विशाल चावला ने बताया कि बानी को उनकी मां श्वेता चावला ने परीक्षा की तैयारी करवाई। उसके लिए एक ट्यूशन टीचर भी लगाया था। बेटी की इस सफलता से उनकी खुशी की कोई सीमा नहीं है।