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    UP के इस गांव में रहते है सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोग, कोई डॉक्टर तो कोई है इंजीनियर, महिलाएं भी नहीं हैं पीछे

    By Nandini DubeyEdited By: Nandini Dubey
    Updated: Thu, 13 Jul 2023 04:55 PM (IST)

    गांव में पिछले पांच सालों से खेती बंद हो चुकी है। यहां के ज्यादातर लोग जॉब करते हैं और बड़े-बड़े पद पर कार्यरत हैं। इनमें से कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर है। यहां से पढ़े हुए लोग आईएएस और प्रोफेसर के पदों पर भी नियुक्त हुए हैं। वहीं कहा जा रहा है कि यहां की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं।

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    धोर्रा माफी गांव है एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव, यहां के ज्यादातर लोग करते हैं नौकरी।

    एजुकेशन डेस्क। गांव का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में खेती-किसानी की तस्वीर आंखों के सामने तैर जाती है। लोगों के बीच आमतौर पर यह माना जाता है कि यहां के ज्यादातर लोग खेती किसानी पर ही निर्भर है। हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि यहां के लोग पढ़-लिखकर अलग-अलग फील्ड में नाम नहीं कमा रहे हैं। लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि इस गांव में खेती बंद ही हो गई है और यहां के सभी लोग नौकरी कर रहे हैं तो यह यकीनन आपके लिए चौकाने वाला होगा। लेकिन हकीकत यही है। इस गांव का नाम है धोर्रा माफी गांव। आइए जानते हैं इस गांव के बारे में विस्तार से।

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    धोर्रा माफी गांव अलीगढ़ जिले के जवां ब्लॉक में स्थित है। यह केवल यूपी में नहीं बल्कि एशिया में सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा गांव है। यहां की आबादी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 से 11 हजार के करीब है। इसमें भी 90 फीसदी से ज्यादा लोग साक्षर हैं, जो कि अपने आप में रिकॉर्ड है। साल 2002 में धोर्रा माफी गांव के नाम को ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में शामिल किया गया था। वहीं, इस गांव का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए होने वाले सर्वे के लिए भी चुना गया था।

    गांव में खेती हुई बंद

    गांव में पिछले पांच सालों से खेती बंद हो चुकी है। यहां के ज्यादातर लोग जॉब करते हैं और बड़े-बड़े पद पर कार्यरत हैं। इनमें से कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर है। यहां से पढ़े हुए लोग आईएएस और प्रोफेसर के पदों पर भी नियुक्त हुए हैं।

    महिलाएं भी नहीं हैं पीछे 

    इस गांव की महिलाएं भी पुरुषों से बिल्कुल पीछे नहीं हैं। वे भी पढ़-लिख रही है। इसके साथ ही अच्छे पदों पर जॉब भी कर रही हैं। वहीं, इस गांव के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां के लोग केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बसे हुए हैं।