भारतीय और विदेशी संस्थानों की डिग्री में बराबरी के नियमों पर UGC Draft तैयार; इन कोर्सेस पर लागू नहीं
UGC on Foreign Degree यूजीसी द्वारा जारी ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (रिकोग्निशन एण्ड ग्रांट ऑफ इक्विवैलेंस टू क्वालिफिकेशंस ऑब्टेंड फ्राम फॉरेन एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस) रेग्यूलेशंस 2023’ के मुताबिक किसी विदेशी उच्च शिक्षा संस्थान से प्राप्त डिग्री को भारत में मान्यता और समकक्षता तभी दी जाएगी जबकि वह संस्थान की अपने देश के निर्धारित नियमों के अनुसार मान्यता प्राप्त हो। ऑनलाइन डिस्ट्रैंस लर्निंग फ्रेंचाइज मॉडल और प्रोफेशनल कोर्सेस को बाहर रखा गया है।

UGC on Foreign Degree: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को लागू करने की दिशा में अंतर्गत राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रावधानों में से एक भारतीय शिक्षा व्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना। इस कड़ी में विदेशी संस्थानों से मिली डिग्री से भारतीय केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों, महाविद्लायों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) की डिग्री की समकक्षता को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नियमों और मानकों का एक डाफ्ट तैयार किया है। आयोग ने इस ड्राफ्ट को 16 अगस्त 2023 को जारी करते हुए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से सुझाव 16 सितंबर तक आमंत्रित किए हैं।
क्या कहता है भारतीय-विदेशी डिग्री में समकक्षता पर UGC Draft?
यूजीसी द्वारा जारी ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (रिकोग्निशन एण्ड ग्रांट ऑफ इक्विवैलेंस टू क्वालिफिकेशंस ऑब्टेंड फ्राम फॉरेन एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस) रेग्यूलेशंस, 2023’ के मुताबिक किसी विदेशी उच्च शिक्षा संस्थान से प्राप्त डिग्री को भारत में मान्यता और समकक्षता तभी दी जाएगी, जबकि वह संस्थान की अपने देश के निर्धारित नियमों के अनुसार मान्यता प्राप्त हो। हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि यूजीसी ने अपने ड्राफ्ट में इन विदेशी संस्थानों से ऑनलाइन, डिस्ट्रैंस लर्निंग मोड में किए गए कोर्सेस, फ्रेंचाइज मॉडल वाले संस्थानों के कोर्सेस और विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सेस को बाहर रखा है।
यूजीसी के नियम सिर्फ उन्हीं डिग्री कोर्सेस के लिए लागू होंगे जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दायरे में आते हैं। ऐसे में विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सस जो कि इन नियमों शामिल नहीं होंगे, उनमें मेडिसीन, फॉर्मेसी, नर्सिंग, लॉ और आर्किटेक्चर, आदि शामिल हैं। बता दें कि इन कोर्सेस के लिए भारत में अलग-अलग यूजीसी से अलग नियामक (जैसे मेडिकल काउंसिल, फार्मसी काउंसिल, नर्सिंग काउंसिल, बार काउंसिंल, आदि) कार्य करते हैं।
यूजीसी द्वारा निर्धारित किए गए भारतीय-विदेशी डिग्री में समकक्षता से सम्बन्धित नियम गजेट ऑफ इंडिया में प्रकाशित होने के बाद लागू हो जाएंगी।
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भारतीय-विदेशी डिग्री में समकक्षता पर UGC Draft की मुख्य बातें
- मान्यता के लिए विदेशी उच्च शिक्षा संस्थान अपने देश में मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
- स्टूडेंट ने कोर्स रेगुलर (ऑफलाइन क्लासेस मोड में) किया हो, न कि ऑनलाइन या डिस्टैंस लर्निंग।
- संस्थान की डिग्री में दाखिला की शर्तें भारतीय संस्थानों के समान होनी चाहिए।
- भारत में कोर्स की अवधि, न्यूनतम क्रेडिट की शर्तें, मूल्यांकन, थीसीस/प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप, आदि में समानता होनी चाहिए।
- यूजीसी द्वारा विभिन्न कोर्सेस के लिए सभी शर्तों का एक रिसोर्स बनाया जाएगा, जिसे मिनिमम कैरिकुलर रिक्वायरमेंटस कहा जाएगा।
- विदेशों में संचालित हो रहे भारतीय संस्थानों के कैंपस से प्राप्त डिग्री की स्थिति में इसे भारतीय नियामक के साथ-साथ सम्बन्धित देश में मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
- फ्रेंचाइज मॉडल में स्थापित संस्थान से प्राप्त डिग्री को मान्यता नहीं दी जाएगी और न ही इसे समकक्ष माना जाएगा।
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