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    PhD के लिए अब नहीं होगी मास्टर डिग्री की जरूरत, पढ़ें क्या हैं ये बदले नियम

    By Nandini DubeyEdited By:
    Updated: Thu, 15 Dec 2022 05:12 PM (IST)

    UGC के नए नियमों के अनुसार जिन उम्मीदवारों ने न्यूनतम 7.5 सीजीपीए के साथ अपना 4 वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी FYUP) पूरा कर लिया है वे मास्टर कार्यक्रम पूरा किए बिना पीएचडी प्रवेश के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे

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    यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने पीएचडी प्रोगाम में दाखिले से संबंधित एक महत्वपूर्ण घोषणा की है।

    एजुकेशन डेस्क। यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने पीएचडी प्रोगाम में दाखिले से संबंधित एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले छात्र सीधे पीएचडी कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी।  UGC के नए नियमों के अनुसार, जिन उम्मीदवारों ने न्यूनतम 7.5 सीजीपीए के साथ अपना 4 वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी, FYUP) पूरा कर लिया है, वे मास्टर कार्यक्रम पूरा किए बिना पीएचडी प्रवेश के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन लोगों का सीजीपीए 7.5 से कम है, उन्हें पीएचडी प्रवेश के लिए पात्र होने के लिए एक साल की मास्टर डिग्री करनी होगी। हालांकि, आयोग ने आरक्षित श्रेणियों और आर्थिक रूप से कमजोर आवेदकको 0.5 सीजीपीए की छूट दी गई है। वहीं  इस संबंध में पीटीआई ने एक ट्वीट किया है। 

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    यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि यह नया नियम ग्रेजुएशन के छात्रों को शोध के प्रति झुकाव रखने में भी मदद करेगा।  बता दें कि मार्च में पीएचडी ड्राफ्ट में नए नियम जोड़े गए थे और हितधारकों की प्रतिक्रिया और टिप्पणियों के लिए भेजे गए थे चूंकि अब नियमों को मंजूरी दे दी गई है, इसलिए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से इनके अमल में आने की उम्मीद है।

    इसके अलावा, हाल ही में एफवाईयूपी यानी कि फोर ईयर अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम के संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा की गई थी। इसके अनुसार, अब आनर्स की डिग्री तीन में नहीं बल्कि चार साल में दी जाएगी। यूजीसी ने 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए सभी आवश्यक नियम व दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इसके अनुसार, चार साल की डिग्री पूरी करने वाले छात्रों को ऑनर्स डिग्री मिलेगी। वहीं, जो छात्र पहले छह सेमेस्टर में 75 फीसदी या उससे अधिक अंक प्राप्त करते हैं और स्नातक स्तर पर शोध करना चाहते हैं, वे चौथे वर्ष में शोध विषय भी चुन सकते हैं। इससे इन स्टूडेंट्स को स्नातक (ऑनर्स विद रिसर्च) की डिग्री मिलेगी।